कभी भी किसी भी एक हफ्ते की खबरें उठाइए जिसमें हिन्दू की लिंचिंग,हिन्दू धर्मस्थल में तोड़फोड़,लव जिहाद का शिकार हुई हिन्दू लड़की की जली कुचली लाश,किसी साधू पुजारी की भीड़ द्वारा लिंचिंग,पुलिस द्वारा वहशी भीड़ को साधुओं के हवाले करना,मंदिर की सम्पत्ति पर सरकारों की गिद्ध नजर.धार्मिक कार्यों पर पथराव,आगजनी जैसी खबरें बड़ी आम हैं लेकिन कभी इनपर कोई गुस्सा नहीं दीखता,कोई मोमबत्ती नहीं जलती,न किसी WSJ या NYT में कोई आर्टिकल आएगा। यह बिलकुल सामान्य खबरें बन जाती हैं जो देश को सेक्युलर और टेलरेन्ट बनने की कीमत होती है.

कभी राहुल गाँधी और दादी की नाक वाली यहां नहीं जाएंगी,कभी ढाई सौ के लगभग स्वघोषित चिट्ठियों के लिखाड़ एक पुर्जा तक नहीं लिखेंगे।कोई रविश इसपर कोई प्रोग्राम नहीं करेगा,कोई राजदीप अपने प्राइम टाइम पर इसपर नहीं बोलेगा।

लिबरल लव जिहाद को सिरे से ख़ारिज करेंगे और लव जिहाद पर बोलना BIGOT हो जाएगा लेकिन जब प्रेम प्रसंग की वजह से कोई हिन्दू लड़का मारा जाए तो ये मुर्दनी चुप्पी साध लेंगे।

कोई लिबरल,मीडिया के गिद्ध,खानदानी गिद्ध नेता एकदम चुप्पी साध लेंगे जैसे कुछ हुआ ही नहीं और हुआ तो वह कानून व्यवस्था का मामला है.मीडिया की जबाबदेही जनता के प्रति नहीं बल्कि अपने देशी विदेशी फिनांसर के प्रति होती है.

सबसे खतरनाक मामला है हिन्दुओं में जातिगत युद्ध कराने की योजनाएं।दलितों और आदिवासियों के बीच सवर्ण हिन्दुओं के खिलाफ लगातार घृणा फैलाई जा रही है और पालघर के साधुओं का मामला हो या राजस्थान के पुजारी, यह सब इसी साजिश के परिणाम हैं और इसके पीछे धर्मान्तरण वाले गिरोह और नक्सली, चाहे यह अरबन हो या जंगलों में रहने वाला। इन नक्सलियों ने एक पूरी की पूरी जनरेशन बरबाद कर दी.भीमा कोरगांव की घटना इसका सबसे बड़ा सबूत है.

यह देखना होगा सरकार कैसे इन सब को कर पाएगी,विरोधी शक्तियाँ ऑक्टोपस की भांति है जबकि सरकार के साथ सिर्फ जनता है.

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