हिंदू धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व है। दीपावली, होली,नवरात्रि हो या रक्षाबंधन, हिन्दू, देश में पर्वों को बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इन पर्वों में सावन का महीना बहुत पवित्र माना जाता है।इस सावन के महीने में हरियाली तीज का बहुत महत्व है । विशेषकर सुहागिनों के लिए तो ये बहुत ही महत्वपूर्ण है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य तथा सफलता के लिए रखती हैं ।

हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष  हरियाली तीज का त्यौहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष हरियाली तीज 31 जुलाई को है। यह पर्व नागपंचमी से 2 दिन पूर्व मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए निर्जला (बिना पानी के) व्रत रखती हैं। साथ ही कुंआरी कन्याएं अच्छे पति की कामना में व्रत और पूजा करती हैं। हरियाली तीज का व्रत करवा चौथ के व्रत के जैसा ही होता है।  इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और पूरे 16 श्रृंगार कर के भगवान शिवजी और माता पार्वती की पूजा करती हैं । कई स्थानों पर  व्रत के दौरान रात में जागकर शिव पार्वती की पूजा आराधना की जाती है। इस दिन मेहंदी लगाने का भी विशेष महत्व है। सावन के महीने में जब संपूर्ण धरा पर हरियाली की चादर बिछी रहती है, प्रकृति के इस मनोरम क्षण का आनंद लेने के लिए महिलाएं झूले झूलती हैं व लोक गीत अथवा तीज के गीत गाकर उत्सव मनाती हैं।   

हरियाली तीज पर होने वाली परंपरा

नवविवाहित लड़कियों के लिए विवाह के बाद पड़ने वाले पहले सावन के त्यौहार का विशेष महत्व होता है। हरियाली तीज के अवसर पर लड़कियों को ससुराल से पीहर बुला लिया जाता है।

1.  हरियाली तीज से एक दिन पहले सिंजारा मनाया जाता है। इस दिन नव विवाहित लड़की की ससुराल से वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और मिठाई भेजी जाती है।

2.  इस दिन मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है। महिलाएं और युवतियां अपने हाथों पर तरह-तरह की कलाकृतियों में मेहंदी लगाती हैं। इस दिन पैरों में आलता भी लगाया जाता है। यह महिलाओं की सुहाग की निशानी है।

3.  हरियाली तीज पर सुहागिन स्त्रियां सास के पांव छूकर उन्हें सुहागी देती हैं। यदि सास न हो तो जेठानी या किसी अन्य वृद्धा को दी जाती है।

4.  इस दिन महिलाएं श्रृंगार और नए वस्त्र पहनकर मां पार्वती की पूजा करती हैं।

5.  हरियाली तीज पर महिलाएं व युवतियां खेत या बाग में झूले झूलती हैं और लोक गीत पर नाचती-गाती हैं।

सावन माह में हरे रंग का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह रंग प्रकृति का रंग होता है। साथ ही हरा रंग मन को भी शांति देता है। वहीं हिंदू धर्म में हरा रंग अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। यही कारण है कि हरियाली तीज में इस रंग को पहनना शुभ माना गया है।

हरियाली तीज पर तीन बातों को त्यागने की परंपरा हरियाली तीज पर हर महिला को तीन बुराइयों को छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए। ये तीन बातें इस प्रकार है…

1.  पति से छल-कपट
2.  झूठ व दुर्व्यवहार करना
3.  परनिंदा (दूसरों की बुराई करने से बचना)

हरियाली तीज की कथा 

हरियाली तीज व्रत की हिन्दू रीति रिवाजों में बड़ी मान्यता है। इसे रखने के पीछे भी एक कथा बहुत प्रचलित है। ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी । विवाह करने के लिए माता ने बहुत ही कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव हरियाली तीज के दिन यानी श्रावण मास शुक्ल पक्ष की तीज को मां पार्वती के सामने प्रकट हुए और माता पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया। तभी से ऐसी मान्यता है कि, भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया। इसलिए हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन और व्रत करने से विवाहित स्त्री सौभाग्यवती रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था

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