हमारी पुन्य भारत भूमि, उत्तरप्रदेश के लखनऊ शहर की करोड़ों की सम्पत्ति एक पाकिस्तानी के नापाक हाथों से बचा ली गई।
भारत सरकार ने शत्रु सम्पत्ति अधिनियम 1968 (Enemy Property Act,1968) के संशोधन पर राष्ट्रपति जी के हस्ताक्षर लेकर पास करा लिये और राजा महमूदाबाद से लखनऊ की सम्पत्ति अपने अधीन कर ली, वरना कांग्रेस सरकार की इटली मेडम सोनिया गांधी ने तो पूरा इंतज़ाम कर लिया था कि लखनऊ की यह संपत्ति पाकिस्तान भागे राजा महमूदाबाद के वंशज की हो जाए। कोई कसर नहीं छोड़ी थी मैडम जी ने।
आजादी के पन्द्रह साल बाद 1962 में अचानक राजा महमूदाबाद लखनऊ से पाकिस्तान भाग गया, उसके बाद फिर राजा महमूदाबाद का लंदन में निधन हो गया। राजा के निधन के बाद उनका बेटा ‘राजा महमूदाबाद आमिर खान’ भारत आया और अपनी सम्पत्ति वापस लेने के लिए उसने एक लम्बी क़ानूनी लड़ाई शुरू की।
2005 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए भारत सरकार और उत्तरप्रदेश सरकार को आदेश दिया कि राजा महमूदाबाद की सभी सम्पतियाँ अगर सरकार चाहे तो उन्हें वापस की जाये और इसे किरायेदारों से भी खाली करवाया जाये।
बिल की मुख्य विशेषताएं
इस विधेयक की सबसे पहली विशेषता, “दुश्मन” की परिभाषा में परिवर्तन है, जिसे दायरे में व्यापक बनाया गया है, और इसमें अब दुश्मन विषय के कानूनी वारिस शामिल हैं। इसका मतलब है, अगर दुश्मन विषय मर जाता है, तो उसी के उत्तराधिकारी को भी दुश्मन माना जाएगा और वे संपत्ति का वारिस नहीं कर पाएंगे। इस प्रकार, शत्रु संपत्ति का उपयोग करने का एकमात्र अधिकार केंद्र सरकार के पास है।
दूसरे, इस विधेयक ने एक स्थायी स्थिति प्रदान की, जहां कस्टोडियन अधिक शक्तियों और अधिकारों के साथ निहित है, इसका मतलब है कि कस्टोडियन के पास शत्रु संपत्ति पर सभी अधिकार, शीर्षक और ब्याज होंगे।
तीसरा, यह विधेयक शत्रु संपत्ति के उत्तराधिकार के बारे में एक स्पष्ट तस्वीर प्रदान करता है जो बताता है कि, शत्रु संपत्तियों के मामलों में उत्तराधिकार कानून लागू नहीं होगा।
चौथा, इस विधेयक के तहत कस्टोडियन अब दुश्मन की संपत्ति को बेच सकता है, और अनधिकृत रहने वालों को बेदखल भी कर सकता है।
अंतिम लेकिन कम से कम नहीं, वर्तमान विधेयक में कहा गया है कि सिविल न्यायालयों का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं होगा और शत्रु संपत्ति से संबंधित इन मामलों का मनोरंजन नहीं कर सकता है, केवल उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के पास ऐसे मामलों से जुड़े मामलों से निपटने के लिए अधिकार क्षेत्र होगा।
इसे इस बिंदु से समझाया जा सकता है कि मूल अधिनियम में स्पष्ट रूप से धारा 2 (बी) के तहत उल्लेख किया गया है कि “दुश्मन” शब्द में “भारत का नागरिक शामिल नहीं है”। हालाँकि, धारा 2 (1) (III) के तहत वर्तमान बिल में स्पष्ट रूप से कहा गया है, “… अभिव्यक्ति में ‘भारत का नागरिक शामिल नहीं है’ को शामिल नहीं किया जाएगा … भारत के वे नागरिक, जो ‘दुश्मन’ के कानूनी उत्तराधिकारी हैं को भी दुश्मन माना जाएगा । जिसके परिणामस्वरूप देश के कई नागरिक अब अपने पूर्वजों के कृत्यों के कारण अपनी संपत्ति से रहित हो जाएंगे।
अनेक कठिनाईयों के पश्चात 2010 से 2014 के बीच इस पर अमल करने हेतु स्टांडिंग कमेटी के सामने यह बिल इटली की मेडम सोनिया गांधी के सहयोग से रखा गया।
इसी बीच 2014 में भारत में सरकार बदल गई और श्री नरेंद्र मोदी जी की नई सरकार ने राष्ट्रपति जी के पास शत्रु सम्पत्ति अधिनियम 1968 में संशोधन के लिए एक आध्यादेश भेजा जिस पर राष्ट्रपतिजी ने हस्ताक्षर करके कानून बना दिया।
2016 में केंद्र मंत्री श्री किरन रिजिजू द्वारा संसद में इस बिल की पेशी से पहले, पांच बार सरकार को अध्यादेश लाने पड़े। अंततः अब जा कर ये संशोधन पारित हुए। इससे पता चलता है इस अधिनियम में संशोधन करना कितना कठिन और अनिवार्य रहा होगा।
इस आध्यादेश से…. “राजा महमूदाबाद की सारी सम्पत्ति का मालिकाना हक भारत सरकार का हो गया….राष्ट्रपति का एक हस्ताक्षर.. और एक लाख करोड़ से भी ज्यादा की सम्पति एक झटके में खत्म …उत्तरप्रदेश के देशद्रोही राजा महमूदाबाद अब फकीर बन गये…अवध रियासत की सबसे बड़ी एस्टेट महमूदाबाद के राजा आमिर खान रिजवी अब रंक बन गये…उनकी एक लाख करोड़ की सम्पति सरकार ने एनिमी प्रापर्टी एक्ट के तहत जप्त कर ली गई।”
New Delhi, Jan 22 (PTI) सरकार ने बुधवार को तीन उच्च-स्तरीय समितियों का गठन करने का फैसला किया, जिनमें से एक 9,400 से अधिक शत्रु संपत्तियों को निपटाने के लिए गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में होगी, जो सरकारी खजाने को लगभग 1 लाख करोड़ रुपये प्राप्त करने की संभावना है।
एक आदेश में, गृह मंत्रालय ने कहा कि दुश्मन संपत्ति अधिनियम के तहत भारत के लिए शत्रु संपत्ति के कस्टोडियन में निहित अचल संपत्ति के निपटान के लिए निर्णय लिया गया है।
जो व्यक्ति पाकिस्तान या चीन की नागरिकता ले ली है और संपत्ति पीछे छोड़ गए वो संपत्ति शत्रु संपत्ति है।
राजा महमूदाबाद की प्रमुख सम्पतियाँ :
लखनऊ का पूरा हजरतगंज, बटलर पैलेस, लखनऊ में एक हजार एकड़ से भी ज्यादा जमीन, अवध क्लार्क होटल, नैनीताल का मेट्रोपोल होटल, दो हजार से ज्यादा एकड़ का आम का बगान, लन्दन में तीन होटल, सीतापुर शहर में कई इमारतें और हजारों एकड़ जमीन….
विशेष :- कुछ सूत्र तो ये भी कहते हैं कि कांग्रेस सरकार की मेडम सोनिया गांधी जी ने राजा महबूदाबाद को उनकी प्रॉपर्टी वापस दिलाने के बदले बीस हजार करोड़ में सौदा भी किया था ।
जिन मोदी विरोधियों को शंका है, वह गुगल पर जानकारी पढ़ सकते हैं… [20/01, 13:45] रास्वसं किशोर आइलानी: “पूर्व प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई ने अपनी किताब “मेरा जीवन वृतांत” में पृष्ठ संख्या 456 पर लिखा है कि “पता नहीं क्यों नेहरु को हिन्दू धर्म के प्रति एक पूर्वाग्रह था?”
नेहरु ने हिन्दुओं को दोयम नागरिक बनाने के लिए हिन्दू कोड बिल लाने की बड़ी कोशिश की थी, लेकिन सरदार पटेल ने नेहरु को चेतावनी देते हुए कहा था की यदि मेरे जीते जी आपने हिन्दू कोड बिल के बारे में सोचा तो मैं कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दूंगा और इस बिल के खिलाफ सड़कों पर हिन्दुओं को लेकर उतर जाऊँगा। पटेल की इस धमकी से नेहरु जी डर गये थे और उन्होंने सरदार पटेल जी के देहांत के बाद ही हिन्दू कोड बिल संसद में पास किया।
इस बिल पर चर्चा के दौरान आचार्य जेबी कृपलानी ने नेहरु को कौमवादी और मुस्लिम परस्त कहा था । उन्होंने कहा था कि…. आप हिन्दुओं को धोखा देने के लिए ही जनेऊ पहनते हो वरना… आप में हिन्दुओं वाली कोई बात नहीं है। …. यदि आप सच में धर्म निरपेक्ष होते तो “हिन्दू कोड बिल” के बजाय सभी धर्मों के लिए “कामन कोड बिल” लाते |
साभारः इन्डियन एक्सप्रेस एवं पंजाब केसरी
कभी कभी मन करता है, कि इसे पोस्ट ही ना करूं। …..फिर ख्याल आता है, कि पढ़ेगा इंडिया तभी तो ग़द्दारों की छाती पे चढ़ेगा इंडिया| ये लोग अगर भाजपा के विरोध करते होते तो हम सह भी लेते, लेकिन ये तो #भारतीयता, #सनातन धर्म, #हिंदुत्व, #भगवा और #हिंदुस्तान को मिटाने पर तुले हुए हैं। इसीलिए हम सब देशप्रेमियों को कट्टर राष्ट्रवादी बनना पड़ेगा!!!
भारत माता की जय!!!
जय हिन्द!!!
हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान!!!
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.
बहुत ही शानदार और सटीक | सार्थक , आँखें खोल देने वाला | यही तेवर रहना चाहिए भारत का भी और हिन्दुस्तानियों का भी