विजय दिवस पर परमवीर सेकेंड लेफ़्टिनेंट अरुण खेत्रपाल को सादर नमन
अरुण खेत्रपाल के इस कूच में उनके टैंक पर खुद अरुण थे, जो दुश्मन की गोलाबारी से बेपरवाह उनके टैंकों को बर्बाद करते जा रहे थे। जब इसी दौर में उनका टैंक निशाने पर आ गया और उसमें आग लग गई। तब उनके कमाण्डर ने उन्हें टैंक छोड़कर अलग हो जाने का आदेश दिया। लेकिन अरुण को इस बात का एहसास था कि उनका डटे रहना दुश्मन को रोके रखने के लिए कितना ज़रूरी है। इस नाते उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए हट जाना मंजूर नहीं किया और उन्होंने खुद से सौ मीटर दूर दुश्मन का एक टैंक बर्बाद कर दिया। रेडियो पर उनका अंतिम संदेश था ... “सर, मेरी गन अभी फायर कर रही है. जब तक ये काम करती रहेगी, मैं फायर करता रहूंगा...”