6 दिसम्बर की तारीख भारतीय इतिहास में अमिट है।इसलिए इस दिन के करीब आते ही साज़िशन सुगबुगाहट शुरू हो जाती हैं। अब 6 दिसम्बर के आने से पहले ही राजस्थान में कई जगहों पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के नाम से पोस्टर लगवाए गए हैं। इन पोस्टर्स में बाबरी मस्जिद की तसवीर लगाई गई है और लिखा गया है कि एक दिन बाबरी का फिर उदय होगा। साथ ही नीचे लिखा गया है कि 6 दिसम्बर 1992 कहीं ये तारीख हम भूल न जाएं।


याद कीजिए कि जब राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आया था तब भी कई कट्टरपंथी लोगों ने कोर्ट के फैसले की अवमानना की थी और बाबरी मस्जिद की याद में हरे आंसू बहाए थे। कुछ दिन बाद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलला के चरणों में दंडवत करके लिबरल गैंग के घड़ियाली आंसुओं को और ज्यादा कर दिया था। ऐसे में तब भी लगातार दुस्साहसी आवाजें उठीं थीं कि बाबरी को भूला नहीं जाएगा।


राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार है, ये वही सरकार है जिसने राम मंदिर निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थरों की सप्लाई पर रोक लगा दी थी। ऐसे में एक बार फिर कांग्रेस सरकार के शासन में इस तरह की हिमाकत की जा रही है कि सरेआम सड़कों पर ‘बाबरी उदय’ के पोस्टर चस्पा किए जा रहे हैं। ये दर्शाता है कि जो लोग देश की सर्वोच्च अदालत के फैसले से सहमत नहीं, जो लोग देश की सरकार की कार्यशैली से सहमत नहीं, जो लोग भारतीय फौज की आतंकियों को कुचलने की क्षमता से सहमत नहीं…ये कौन लोग है? क्या किसी स्वतंत्र राष्ट्र में आपने इतनी सहनशीलता देखी है, जहां आस्तीनों में ऐसे सांप पाले गए हैं? अब वक्त आ गया है कि बरसों की गुलामी से जागी इस देश की जनता को ऐसे सांपो के मुंह पर राष्ट्र्वाद का अंगद पांव जमा कर रखना चाहिए ताकि बरसों भारत में जग चुके ये संपोले आने वाले युगों तक सिर न उठा पाएं।

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