ये गजब चल रहा है मेरे देश में
तैमूर घूम रहा ,तांडव के भेष में
अबे सैफू , माना की तुम्हारे अब्बू और उनके अब्बू कभी हुआ करते थे खुद के घोषित नवाब (वो जैसे है न तुम्हारा नया नया घोषित किया हुआ खलीफा तुर्की ) लेकिन अब लद गए वो जमाने रे मुगलिये पराठे। अब ये देश जो मेरा बदलता हुआ भारत है ,ये अब हिंदुस्तान होने की ओर अग्रसर है इसलिए
या तो बंदा बन ,या तेरा धंधा बंद।
वैसे भी ,जैसे तेरी खाला के पुत्तर आमिर को यहाँ रहने में डर लग रिया है तो फिर तू क्यों नहीं खुद को सैफ(सेफ ) रखता रे नवाब के कबाब। यो अली अब्बास के चक्कर में क्यों पड़ क्यों ऐसी तैसी कराना। तांडव तो बहुत दूर की बात है बे मुगलों , तुम्हारे बस का सिर्फ एक “ॐ ” को भी समझना नहीं है।
तुम्हें तो अपने ओला हू ऊबर के जीपीएस को फॉलो करते हुए ऐसे ही अपने छोटे छोटे “तैमूर” पर ही ध्यान देना चाहिए। तुमने अपना सारा (अली खान ) ध्यान ऐसे ही उटपटांग काम धंधों पर लगा रहा है और बच्ची ,चरस गाँजा फूँक रही है , तो अगर भगवान् शंकर से इत्ता ही प्रेम उमड़ रहा है तो फिर तो सिलेबस के हिसाब से “दम मारो दम ” या फिर “चिलम फू ” जैसे कोई हाहाकरी सीरीज़ बनानी चईये न।
अब देखो जवाहर विश्व विद्यालय को विवेकानंद विश्व विद्यालय में बदल कर , और वही फूहड़ स्टैंड अप को वेब सीरीज़ में बदल कर ये अली अब्बास तुम्हें फैंटम से लत्तम जुत्तम तक में बदल दिए दे रहा है। तुम तो नवाब कवाब हो , गरीब अली अब्बास के चक्कर में तुम भी कटोरा लेकर ,पंचर बनाने निकल पड़े। जे कर क्या रिए हो सैफू
सुण अब कान खोल के , ये जो हर दूसरी पिक्चर में हम फौजियों ,पुलिस वालों की वर्दी पहन के फोकटिया हीरो बने दीखते हो न किसी दिन लेह लद्दाख के पेंगोंग में डुबकी लगवा दी न तो तैमूर को फिर उसके अकड़े ठन्डे अब्बू ही दिखाई देंगे। इसलिए सैफू , तुम अपने बुर्के में से ही जो भी कव्वाली जो भी सूफियाना -गीत संगीत फिल्लम सीरीज़ कार्टून बनाना हो वहीँ से बनाओ रे।
जय जय सिया राम। जय हिन्द। जय भारत।
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