क्यों भारत के किसान परेशान हैं और क्यों भारत किसान नेताओं से परेशान है?
अन्नदाता बोल कर कोई गुंडागर्दी कर के बच नहीं सकता। इस बात को समझना होगा कि बिना स्वतंत्रता व्यापार नहीं हो सकता और बिना व्यापार धन नहीं आ सकता। इतनी सी बात समझ आ गई और लागू हो गई तो वो दिन दूर नहीं जब भारतीय किसान स्वयं कर देने आगे आयेंगे और देश की प्रगति में और भी बड़ी और निर्णायक भूमिका निभाएंगे जबकि समाज अब तक उन्हें केवल एक निरीह वोट बैंक के रूप में देखता आया है।