“दीदी सू सू कब करती हैं?” क्रांतिकारी पत्रकारों के तीखे प्रश्नों ने किया पीके को निरुत्तर

सच्ची पत्रकारिता करना एक महान सेवा होती है। जिसमें आप किसी की सेवा करते हैं और बदले में वो आपकी सेवा करते हैं (2BHK)। ये ऐसी सेवा है जिसमें आपको सरकार से प्रश्न पूछना होता है। और सरकार से मतलब केवल मोदी और बीजेपी से है।

पाकिस्तानी अखबार को एजेंडा बेचे ‘द वायर’..शाहीन बाग को मिनी पाकिस्तान कहने पर हुआ दर्द

कपिल मिश्रा जी ने “लिबरल पत्रकारिता” करने के लिए कुख्यात पोर्टल द वायर को एक साक्षात्कार दिया। साक्षात्कार तो क्या ही कहें। किसी स्कूल...

क्यों भारत के किसान परेशान हैं और क्यों भारत किसान नेताओं से परेशान है?

अन्नदाता बोल कर कोई गुंडागर्दी कर के बच नहीं सकता। इस बात को समझना होगा कि बिना स्वतंत्रता व्यापार नहीं हो सकता और बिना व्यापार धन नहीं आ सकता। इतनी सी बात समझ आ गई और लागू हो गई तो वो दिन दूर नहीं जब भारतीय किसान स्वयं कर देने आगे आयेंगे और देश की प्रगति में और भी बड़ी और निर्णायक भूमिका निभाएंगे जबकि समाज अब तक उन्हें केवल एक निरीह वोट बैंक के रूप में देखता आया है।

कविता: लटका चमगादड़

बीस सूत्र का कार्यक्रम, ज्यों मारुति की पूंँछ;जिसके मारे हो गई, नीची सबकी मूँछ;नीची सबकी मूँछ, मची लंका में भगदड़;सोने के सिंहासन पर, लटका...

मैं बेईमान हूँ और इसपर मुझे गर्व है!

बेईमान का सही अर्थ क्या होगा? सही अर्थ होगा जो ईमान वाला न हो। वैसे तो तथाकथित हिन्दी शब्दकोष इनके अन्य दूसरे अर्थ देते हैं जो बोल-चाल में, प्रचलन में हैं परन्तु सबसे उपयुक्त अर्थ यही है "जो ईमान वाला न हो"। बेईमान का उल्टा ईमानदार होगा। क्या आपको पता है ईमान का सही अर्थ क्या है? ये शब्द कहाँ से आया?

कविता: राम भक्त हैं, राम नाम ले राम की गाथा सुनाते हैं, स्वर्ण लंका हो, या बाबरी हो… स्वाहा अधर्म की जलाते हैं…

कलियुग के इस, अधर्मी युग में वैसा अवसर आया था, जब त्याग विनय, भर शौर्य भुजा में भगवा खुलकर छाया था। राम भक्त हैं, राम नाम ले राम की गाथा सुनाते हैं, स्वर्ण लंका हो, या बाबरी हो स्वाहा अधर्म की जलाते हैं।।

कांड कोरोना

दुनिया का एक देस निरालाखाए पिए जीव जंतु सारा,उस देस की निराली सरकारसच दबाए बिन लिए डकार। सरकार की एक निकम्मी साथीदिया जलाए बिन...