बीस सूत्र का कार्यक्रम,
ज्यों मारुति की पूंँछ;
जिसके मारे हो गई,
नीची सबकी मूँछ;
नीची सबकी मूँछ,
मची लंका में भगदड़;
सोने के सिंहासन पर,
लटका चमगादड़;
कह कैदी कविराय,
अपेक्षाओं की ज्वाला;
स्वाहा कर देगी,
अत्याचारों की माला।
——स्वर्गीय भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी
टिप्पणी: बीस सूत्र कार्यक्रम आज के परिप्रेक्ष्य में किसान विधेयक हैं जिससे किसानों का शोषण करते आ रहे लंका वासियों में भगदड़ है। लटकते चमगादड़ इस विधेयक पर रोना रोने वाले नेता, अभिनेता और नए नवीन किसान नेता हैं। परन्तु किसानों की नूतन अपेक्षाओं की ज्वाला इनके अत्याचारों की माला को स्वाहा कर देगी, चाहे ये जितने यत्न लगा लें।
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