कविता एक लिबरल को देखा तो ऐसा लगा.. एक लिबरल को देखा तो ऐसा लगा जैसे सूअर का रूप जैसे स्वरा कुरूप जैसे ... by Brijesh जनवरी 17, 2021जनवरी 18, 2021
आज का मुद्दा कविता: लटका चमगादड़ बीस सूत्र का कार्यक्रम, ज्यों मारुति की पूंँछ;जिसके मारे हो गई, नीची सबकी मूँछ;नीची सबकी मूँछ, मची लंका में भगदड़;सोने के सिंहासन पर, लटका... by Brijesh दिसम्बर 11, 2020दिसम्बर 12, 2020
कविता कांड कोरोना दुनिया का एक देस निरालाखाए पिए जीव जंतु सारा,उस देस की निराली सरकारसच दबाए बिन लिए डकार। सरकार की एक निकम्मी साथीदिया जलाए बिन... by Brijesh दिसम्बर 3, 2020दिसम्बर 4, 2020