“मैं बेईमान हूँ।” ऐसा कहने पर अधिकतर हिन्दी भाषी आपको संदेह की दृष्टि से देखेंगे। उनको लगेगा की आप धूर्त, कुटिल मनुष्य हैं। पर ये उनकी अज्ञानता का और हमारी पतित होती हिन्दी का परिचायक है।

बेईमान का सही अर्थ क्या होगा? सही अर्थ होगा जो ईमान वाला न हो। वैसे तो तथाकथित हिन्दी शब्दकोष इनके अन्य दूसरे अर्थ देते हैं जो बोल-चाल में, प्रचलन में हैं परन्तु सबसे उपयुक्त अर्थ यही है “जो ईमान वाला न हो”। बेईमान का उल्टा ईमानदार होगा। क्या आपको पता है ईमान का सही अर्थ क्या है? ये शब्द कहाँ से आया? ईमान (अवधारणा) – विकिपीडिया (wikipedia.org)

ईमान का अर्थ है इस्लाम के छः सूत्रों में अटूट विश्वास रखना। ये छह सूत्र हैं तौहीद, मलाइका, इस्लामी पुस्तकों जैसे कुरान पर विश्वास, इस्लामी पैगम्बरों पर विश्वास, तक़दीर पर विश्वास (तक़दीर भाग्य नहीं है, तक़दीर का अर्थ ही अल्लाह का दिया हुआ सबकुछ यानी तक़दीर उसी के लिय उपयुक्त जो अल्लाह को माने), यौम अल-कियामा पर विश्वास। तो आप ही बताइए। क्या आप इन सब बातों पर विश्वास करते हैं जिनके बारे में आपको शायद कोई आभास भी न हो। ऐसे में तो आप भी बेईमान, यानी बिना ईमान वाले हुए। अब आप समझ गए होंगे की ईमानदार का प्रयोग कहाँ करना है और कहाँ नहीं।

एक बात मैं स्पष्ट कर दूँ की भाषा की शुद्धता के नाम पर सारे अरबी शब्दों का विरोध करना मेरा प्रयोजन नहीं है। परन्तु किसी भी भाषा के शब्द और उसके मूल अर्थ उस समाज की संस्कृति और सभ्यता के परिचायक होते हैं।
ऐसे मैं हम अरबी शब्दों का प्रयोग भी करें तो ये ध्यान में अवश्य रखें कि उन शब्दों का मूल अर्थ क्या है। इसीलिए मेरा निवेदन है कि आप औरत, शहीद, ईमानदार, एहसान-फरामोश जैसे शब्दों का प्रयोग सोच समझकर करें अथवा करें ही न। ये कोई ज्यादा कठिन नहीं है। आप एक बार संस्कृत सीखना प्रारंभ करिए, देखिए कैसे आपकी भाषा में सुंदरता, शुद्धता आती है और आप अपनी संस्कृति से जुड़ते जाते हैं।

साभार: (1) अरबी-फ़ारसी मुक्त हिन्दी: बाज़ारू खिचड़ी से आर्यभाषा तक| नित्यानन्द मिश्र | Arabic-Persian Free Hindi – YouTube

चित्र साभार: Artem Beliaikin (@belart84) | Unsplash Photo Community

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