क्या आपने बंगाल पुलिस द्वारा दंगाइयों से निपटते , लोहा लेते , वो सैकड़ों वीडियोज़ देखे हैं जो इस बात का प्रमाण हैं कि बंगाल पुलिस ने खुद के ऊपर किसी राजनैतिक प्रभाव को इतना हावी होने नहीं दिया कि उनकी वर्दी पर कोई आँच आ गई हो ?? — क्या कहा ! नहीं देखा।
अच्छा चलिए फिर आपको वहां के स्थानीय शान्ति दूतों द्वारा हर घर , मंदिर और महिलाओं को बचाने के लिए बनाया गया घेरा , पीस सर्कल बनाने वाले वीडियोज़ तो देखने को मिले ही होंगे -आप झूठ बोल रहे हैं जी , ऐसा कैसे हो सकता है इस बार वो भी नहीं दिख रहे कहीं बंगाल में। अभी पिछले दिनों ही तो बंगलौर में उनहोंने घेरा बना कर मंदिर को टूटने से बचाया था अब ये अलग बात है कि -आखिर बचाया किनसे था ?? ये कोई नहीं बताता
छोड़िए , इन सबको – टीवी , रेडियो , सोशल नेटवर्किंग साइट्स आदि में बड़े वाले बुद्धिजीवियों के “लोकतंत्र खतरे में है ” या वो असहिष्णुता बढ़ गई की चिट्ठियां लिखने वाले तो दिख रहे होंगे , या पिछले दिनों हर बात पर कूद कर पुरस्कार वापस कर देने वाले , गले में तख्तियाँ लटकाने वाले -कोई गैंग तो ,कहीं न कहीं दिख ही रहा होगा -क्या वो भी नहीं हैं।
बड़े बड़े टूलकिट निर्माता से लेकर मध्य प्रदेश कांग्रेस के ट्विट्टर हैंडल से ओछे ट्वीट करने वाले आई टी सेल के मूढ़ तक , राजनीति विज्ञान से लेकर स्वतः संज्ञान तक , हर तरफ एक खामोशी एक चुप्पी छाई हुई है।
और इसका एक ही कारण है कि -पश्चिम बंगाल में दिन रात जिन्हें मरा काटा जा रहा है , जिनके घर , मकान , दुकान जलाए जा रहे हैं , जिनकी बहू बेटियों की अस्मत लूटी जा रही , जिन्हें घरों से बेदखल किया जा रहा है और जो आज अपने ही घर , राज्य देश में पीड़ित , शरणार्थी बन कर रह जाने पर मजबूर हैं वे -आखिरकार हिन्दू हैं न।
ऊपर से उनपर ये संदेह भी है कि उन्होंने राजकीय सत्ता का साथ नहीं देने जैसा अपराध किया है तो सत्ता खुद ही प्रतिशोध ले रही है उससे बड़ी सत्ता मौन है , प्रतिक्रियाहीन है – आज भी , क्या हिन्दुओं की यही नियति बनी रहनी चाहिए ?? क्या आजादी के इतने सालों बाद भी , कहने को अपने हितों वाली हिंदूवादी पार्टी को भारी बहुमत से दूसरी बार केंद्र की बागडोर थमा देने के बावजूद भी और क्या मोदी और योगी अमित शाह जैसे दृढ़ निडर शासकों के रहने के बावजूद भी -हिन्दुओं की यही नियति हो ,यही हाल होना चाहिए ??
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