योगी-मोदी के हवाले से आजकल मीडिया में छापी जा रही राजनीतिक खबरें महज हवा-हवाई हैं , ताकि दोनों अपने विराट विजन और मिशन से भटक सकें। आजकल बड़े बड़े अखबारों और न्यूज चैनलों में सूत्रों के हवाले से कुछ भी लिखने तथा बोलने का फैशन हो गया है। दुःख ही बात तो यह है कि तीस -तीस साल से पत्रकारिता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार भी सूत्रों के हवाले से हवा-हवाई और झूठी खबरे लिख रहे हैं। ऐसे पत्रकार अपनी झूठी खबरों से जनता को तो गुमराह कर ही रहें हैं, मीडिया की छवि भी जनता के बीच खराब कर रहें हैं।

देश के एक प्रमुख अखबार की वेबसाइट पर लिखी गई खबर , योगी ने संघ से कहा था- इससे बेहतर तो मैं इस्तीफा ही दे दूं को लेकर सिद्धार्थनाथ सिंह ने यह कहा है। उनका कहना है ऐसी खबरें कुछ देर के लिए बस ध्यान खींच सकती है, इनकी कोई उम्र नहीं होती। वर्तमान में तमाम वरिष्ठ पत्रकार राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर बे सिर पैर की ऐसे- ऐसे विश्लेषण लिख रहें हैं जो सच्चाई से मीलों दूर हैं। रोचक तथ्य तो यह भी है कि बिना किसी से बात किए अब राजनीतिक खबरें लिखने का फैशन भी चल पड़ा है। जिसके तहत ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिल्ली में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिलने को लेकर तमाम बेसिर पैर की खबरें सूत्रों के हवाले से लिखी गई। किसी ने लिखा कि यूपी का विभाजन किया जाएगा, तो किसी ने लिखा कि योगी ने संघ से कहा था- इससे बेहतर तो मैं इस्तीफा ही दे दूं।

इस मुद्दे पर बीजेपी नेता सिद्धार्थनाथ सिंह का कहना है कि पत्रकारिता एक जिम्मेदारी भर कार्य है। तमाम मर्यादाओं का ध्यान रखते हुए खबरें लिखी जाती हैं। जिसके चलते ही जनता मीडिया पर विश्वास करती है। परन्तु अब कुछ पत्रकार जनता के इस विश्वास को सूत्रों के हवाले से झूठी खबरें लिखकर ठेस पहुंचा रहें हैं। मीडिया घरानों में अहम पदों पर बैठे ऐसे पत्रकार सूत्रों के हवाले से खबरें झूठी खबरें लिखकर समाज का भला नहीं कर रहें हैं और ऐसा करने वाले पत्रकार यह जान लें कि सूत्रों के हवाले से झूठी और हवा-हवाई खबरें लिखने से कोई उन्हें याद नहीं रखेगा। इसलिए बेहतर हो कि मौके पर जाएं और लोगों से बात करने के बाद सोच-विचार कर खबर लिखें, सूत्रों के हवाले से खबर लिखकर सनसनी फैलाना बंद करें।


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