यह मेरा किसी भी तरह का सबसे पहला लेख है, उम्मीद है वक्त के साथ मैं लेखन सीख जाऊंगा।
मैं कल जयपुर डायलॉग पर डॉ राजीव मिश्रा द्वारा कही गई एक बात की ओर सभी का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। हिंदुओं की सबसे बड़ी कमजोरी है कि हिंदू की जान पर नहीं आती है तब तक वह सामूहिक होता हुआ नहीं दिखता है, हमें अपने शक्ति प्रदर्शन या सामूहिक प्रदर्शनों हेतु मंदिरों में हनुमान चालीसा पाठ तथा साथ में 10 या 15 मिनट सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर किसी एक वक्ता द्वारा संबोधन कराना हिंदुओं के पुनर्जागरण हेतु बहुत ही लाभकारी सिद्ध होगा। जरूरी नहीं की वह कोई कुशल वक्ता ही हो। इससे हिंदुओं में एकजुटता बढ़ेगी और हमें भी अपनी सामूहिक शक्ति का एहसास होग।
अगर कोई जरा सा भी दूरदर्शी व्यक्ति होगा तो उसे भविष्य में मंडराते हुए खतरे का निश्चित ही एहसास हो रहा होगा। हम इस सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ सकते कि हमारे देश में अवैध रूप से बसे हुए रोहिंग्या मुसलमान सबसे ज्यादा अपराधों में लिप्त पाए जाते हैं और कुछ सरकारें उनका सिर्फ चुनावी फायदे के लिए भरण-पोषण और स्थाई रूप से बसा भी रही हैं, निश्चित ही वे इन फैसलों से देश की एकता और अखंडता को तार तार करने का मौका दे रहे हैं, मगर उन पार्टियों को राष्ट्र से नहीं केवल गद्दी से ही मतलब है, ऐसी पार्टियों को चिन्हित करना होगा और उन्हें सत्ता से बेदखल करना ही होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इनको वोट करके हम अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं और इनकी तादाद दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है अगर हमने बहुत जल्द इस पर कोई ठोस निर्णय ना किया तो इनके द्वारा फैलाई जाने वाली अराजकता बहुत ही जल्द हिंदुओं के दरवाजे पर दस्तक देने वाली है।
इसका सबसे उचित समाधान NRC जैसे कानूनों का जल्द से जल्द लागू कराया जाना ही है। हमें यह भी पता है इसको लागू कराने में सबसे ज्यादा अड़चन उन्हीं के द्वारा पैदा की जाएगी मगर इसका यह तो मतलब नहीं कि हम डर कर इन जैसे देश हित के कानूनों को लागू ही ना करें। इसको लागू करने में जितना भी समय हम व्यर्थ गंवाएंगे उतना ही देश को मुसीबत के गर्त में ढकेलेंगे। अगर चुनावी फायदे को देखते हुए BJP जैसी राष्ट्रवादी पार्टी भी इन जैसे फैसलों को लागू करने में देर करेगी तो हमें इसका बहुत ही भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। चुनाव तो तब ही होंगे जब देश बचेगा, और बदलती हुई डेमोग्राफी के साथ मैं निसंदेह कह सकता हूं की बहुत ही जल्द वे भारतीय राजनीति दशा और दिशा भी बदल देंगे। इसलिए इन जैसे कानूनों को ठंडे बस्ते से बाहर निकालकर अमल में लाना चाहिए। हिंदुओं को भी विशेष प्रयास करने की जरूरत है, हमें एकजुट होना ही होगा अन्यथा हमारी अगली पीढ़ी इसका अंजाम भुगतेगी।
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