“द कश्मीर फाइल्स” #TheKashmirFiles
19 जनवरी 1990 की रात्रि को जब लोग घरों में बैठे थे, तभी उन्हें अचानक से मस्जिदों के लाउडस्पीकर से आवाज़ें सुनाई दी,”रालिव, तस्लीव या गालिव (या तो इस्लाम में शामिल हो जाओ, या तो घाटी छोड़ दो, या फिर मरो)”
कश्मीरी पंडितों के घरों के बाहर एक नोटिस चस्पा दिया गया कि,”या तो मुस्लिम बन जाओ या फिर कश्मीर छोड़कर भाग जाओ…या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ”
लगभग 5 लाख से अधिक कश्मीरी पंडितों को अपने ही घरों को छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा और पता नही कितनी ही सैकड़ों हत्याएं की गई, हज़ारों बहिन बेटियों के साथ बलात्कार किया गया, मासूम बच्चों का कत्लेआम किया गया। 1947 के बाद ये स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा पलायन एवं नरसंहार हुआ था।
इन सब कुकृत्यों एवं नरसंहार के बाद भी केंद्र की सत्ता कुछ नही कर पाई क्योंकि उसे चिंता थी मात्र एक विशेष धर्म के लोगों की, उन्हें मतलब ही नही था कश्मीरी पंडितों से और उनकी भावनाओं से।
समय रूपी रथ के पहियों से जब 19 जनवरी 1990 की रात के अमानवीय दर्द को वामपंथी इतिहासकारों के द्वारा मात्र पलायन करार देकर उसे रौंदा जा रहा था, तब #VivekRanjanAgnihotri जी जैसे साहसी फिल्मकार ने दुनिया को बताया कि वो मात्र पलायन नही था बल्कि वो था – कश्मीरी हिंदूओ की नृशंस हत्या या नरसंहार।
किसी ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि यदि आपकी इतिहास में रुचि है तो एक बार और यदि भविष्य में रूचि है तो दो बार #TheKashmirFiles देखे।
मैं इसमें जोड़ना चाहता हूं कि सिर्फ 2 बार ही नही बल्कि प्रत्येक महीने में एक बार जब भी आपको समय मिले ; इसे किसी भी माध्यम से जरूर देखें ताकि आप सनद रहे कि यदि आज आप जागरूक नही हुए तो 32 साल पहले जो कश्मीर में हुआ वो आपके साथ भी हो सकता है।
कश्मीरी हिंदूओ को मारने वाले, उनकी बहिन बेटियों की इज्जत को सरेआम नीलाम करने वाले निर्दयी आततायी उन हिंदूओ के ही वर्षों से पड़ोसी, बचपन के दोस्त, उनके छात्र थे। इस्लामिक क्रूरता का वीभत्स रूप यदि आप देखना चाहते है तो #TheKashmirFiles देखे, जहाँ एक महिला को उसके पति के खून से सने हुए चावल खाने को मजबूर किया गया। पुष्करनाथ पंडित की आंखों के सामने ही उनके पुत्र, पुत्रवधू और पोते की इस्लामिक आतंकियों के द्वारा हत्या कर दी गयी।
ये सिर्फ एक मूवी नही है, बल्कि ये एक हकीकत है जिसका सामना प्रत्येक हिन्दू को करना चाहिए और समझना चाहिए कि ये गंगा जमुनी तहजीब, प्यार मोहब्बत पैगाम, भाईचारा सब खोखले नारे है। अतः आप सभी से निवेदन है कि बिना देर किए इस मूवी को आप स्वयं भी देखिए, अपने दोस्तों परिचितों को भी दिखाइए ताकि विवेक अग्निहोत्री जी जैसे फिल्मकार को हौसला मिले, ताकि कश्मीरी हिंदूओ के दर्द को आप भी महसूस कर सके।
जय हिंद 🇮🇳🇮🇳
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