फ्रांस में जिस तरह से शिक्षक का सिर कलम किया गया और फिर उसके बाद पूरा फ्रांस आतंकवाद के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है, वो अपने आप में नज़ीर है। एक शिक्षक का सिर कलम किया गया और उसके अंतिम संस्कार में फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रोन ने शामिल होकर सन्देश दिया कि फ्रांस इस्लामिक कट्टरता के आगे झुकने नहीं वाला है। मस्जिदों और मदरसो पर जिस तरह से फ्रांस में कार्रवाई की जा रही है उसका टर्की के नेतृत्व में सभी इस्लामिक देश विरोध कर रहे हैं, मुस्लिम देश फ्रांस पर दबाव बनाने के लिए फ्रांसीसी उत्पादों के बॉयकॉट की मुहिम चला रहे हैं… मगर फ्रांस पर इन सब गीदड़भभकी का कोई असर नहीं हो रहा। 

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रोन ने शिक्षक के अंतिम संस्कार में शामिल होकर दुनिया को बता दिया कि आतंक के खिलाफ उसका रुख इस बार बेहद कड़ा है। भारत जैसे देशों को इससे सबक लेना चाहिए जहां कमलेश तिवारी, अंकित शर्मा,राहुल राजपूत की क्रूर हत्या पर भी कोई जनप्रतिनिधि वहां नहीं गया। हैरानी की बात है कि फ्रांस में महज एक शिक्षक की इस्लामिक पैटर्न से हत्या की गई, जबकि भारत में अबतक लाखों लोग इस क्रूरता का शिकार हो चुके हैं, मगर न भारत की जनता सड़क पर उतरी , न मीडिया ने मुहिम चलाई, न सरकार में बैठे जनप्रतिनिधि जागे। 


फ्रांस के राष्ट्रपति से भारत देश के शासकों को सीख लेनी चाहिए कि किस तरह एक हत्या के बाद उन्होंने रीड की हड्डी की मजबूती को दर्शाते हुए कट्टर आतंकवाद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

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