‘इन्क्विजिशन’ के अत्याचारों की जानकारी नई पीढी को देने के लिए शीघ्र ही ‘गोवा फाइल्स-2’ ! : – 10th ‘Akhil Bharatiya Hindu Rashtra Adhiveshan’
भगवान परशुराम गोवा की रक्षा करते हैं । गोवा के काले इतिहास में हुए ‘इन्क्विजिशन’ के लिए कथित संत फ्रान्सिस जेवियर ही उत्तरदायी था । इसलिए गोवा में 250 से अधिक वर्ष ‘इन्क्विजिशन’ के माध्यम से किए गए जुल्मी अत्याचारों की सत्य जानकारी नई पीढी को देना आवश्यक है । इसीलिए ‘गोवा फाइल्स’ का दूसरा भाग गोमंतकियों के सामने रखनेवाले हैं, ऐसा प्रतिपादन गोवा के ‘भारत माता की जय संघ’ के राज्य संघचालक प्रा. सुभाष वेलिंगकर ने किया । ‘हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों की एकता का सफल प्रयोग : हिन्दू रक्षा महाआघाडी’, इस विषय पर वे बोल रहे थे । इस समय व्यासपीठ पर स्वामी आत्मस्वरूपानंद महाराज, पू. परमात्माजी महाराज, धारवाड, कर्नाटक तथा सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता चेतन राजहंस उपस्थित थे ।
प्रा. सुभाष वेलिंगकर ने आगे कहा, ‘‘गोवा में रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुसलमानों की घुसपैठ बढ गई है । गोवा के अनेक स्थानों पर मुसलमानों ने कब्जा कर लिया है । गोवा में कट्टर इस्लामिक संगठन ‘पॉप्युलर फ्रंट इंडिया’ (PFI) सक्रिय हो गया है । गोवा के धर्मांध मुसलमान मुख्यमंत्री को चेतावनी देकर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने का साहस करने लगे हैं । इन सब बातों का सामना करने के लिए हिन्दू समाज का संगठन करना आवश्यक है । उसके लिए गोवा के छोटे–बडे हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के 350 प्रतिनिधियों को लेकर हमने हिन्दू रक्षा महाआघाडी की स्थापना की है । धर्मांतरण का विरोध, जिहाद का विरोध, मंदिर सुरक्षा, धर्मशिक्षा, हिन्दू संस्कार इस प्रकार पंचसूत्रीय कार्यक्रम बनाकर उसके अनुसार कार्य किया जा रहा है । गोवा की सर्व संस्थाएं स्वयं का कार्य कर रही हैं तथा उनकी कार्यप्रणाली में पंचसूत्रीय कार्यक्रम अंतर्भूत किया गया है ।’’
धर्म पर अधर्म का आक्रमण प्रारंभ होनेपर भगवान परशुरामजी ने परशु धारण किया । ऐसे भगवान परशुराम को हमें आदर्श मानना चाहिए । यह संघर्ष का समय है । उसके लिए प्रत्येक संत और संन्यासी को हिन्दू राष्ट्र की मांग करनी चाहिए । उन्होंने हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए कार्य करना आवश्यक है, ऐसा आवाहन धारवाड (कर्नाटक) के पू. परमात्माजी महाराज ने किया । वे ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए आध्यात्मिक संस्थाओं की एकता के लिए किए हुए प्रयास’, इस विषय पर बोल रहे थे ।
भारत एक आध्यात्मिक भूमि है । भारत का इतिहास देखें, तो भारत में जब जब कुछ परिवर्तन हुआ है, वह मुख्यतः आध्यात्मिक संस्थाओं ने ही किया है । हमारे देश में आध्यात्मिक संस्था और संतों की संख्या बडी है । ये सब हिन्दू राष्ट्र की मांग के लिए एकत्रित आएं, तो हिन्दू राष्ट्र स्थापित होने में समय नहीं लगेगा, ऐसा भी पू. परमात्माजी महाराज ने कहा ।
प्राचीन काल में भारत में विद्यालय मंदिरों में ही चलाए जाते थे । लगभग प्रत्येक गांव में एक मंदिर था और प्रत्येक गांव में एक विद्यालय था । एक अंग्रेज अधिकारी थॉमस मुन्रो की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1826 में दक्षिण भारत में 1 लाख 28 हजार विद्यालय थे । जिनमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य विद्यार्थियों की संख्या 25 प्रतिशत थी तथा शूद्र विद्यार्थियों की संख्या अधिक थी । आगे अंग्रेजों ने यह सर्व बंद कर दिया । आज भी भारत में किसी विद्यालय में धार्मिक शिक्षा नहीं दे सकते । इसलिए सर्व संस्थाओं को एकत्रित आकर आदर्श चरित्र निर्माण हेतु धार्मिक शिक्षा देना आवश्यक है, ऐसा आवाहन बंगाल की शास्त्र धर्म प्रचार सभा के उपसचिव पूज्य डॉ. शिवनारायण सेन ने किया ।
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