1945 में कार्ल पॉपर ने “असहिष्णुता का विरोधाभास” शब्द प्रस्तुत किया था, जिसमें कहा गया था, “यदि कोई समाज असीमित सहिष्णु है, तो सहिष्णु होने की उसकी क्षमता अन्ततः असहिष्णुओं द्वारा नष्ट कर दी जाती है“। संक्षेप में कहें तो समाज को असहिष्णुता के प्रति असहिष्णु होने का अधिकार बनाए रखना चाहिए।
भारत में इस्लामी कट्टरपन्थ का गुपचुप तथा अनियन्त्रित विस्तार ने डिजिटल एवं भौतिक स्थानों में द्वेष, आतंक तथा हिंसा को फैलाने वाली भीड़ के माध्यम से स्वयं को प्रकट किया है। उदाहरण के लिए, कश्मीर, केरल, पश्चिम बंगाल एवं कर्नाटक के तटीय स्थानों की स्थिति ने सहिष्णुता की देहरी को पार कर लिया है। दिन–ब–दिन सामान्य हिन्दुओं को हिजाब विवाद, हलाल विवाद, सड़कों पर नमाज़, अवैध मज़ार निर्माण, हिन्दुओं की शोभा यात्रा के दौरान पथराव, हिन्दुओं के देवी–देवताओं के ऊपर मजाक और उपहास, तथा लव जिहाद जैसी समस्याओं को सामना करना पडता है तथा उन्हें हर बार इससे निपटने की कठिन परीक्षा देनी पडती है।
जमीयत–ए–उलेमा–हिन्द ने 29 मई 2022 को अपनी वार्षिक बैठक में कहा कि भारत उनका है और मुसलमानों को नापसन्द करने वालों को पाकिस्तान चले जाना चाहिए।
पश्चिम से पेट्रो–डॉलर के निर्बाध प्रवाह ने पूरे भारत में जिहादी संगठनों को जन्म दिया है। उदाहरण के लिए, पॉपुलर् फ़्रण्ट् ऑफ़ृ इण्डिया (पीएफआई – पहले यह सिमी थी) अपने कैम्पस् फ़्रण्ट् ऑफ़् इण्डिया, फ़्रेटरनिटी मूवमेण्ट् और महिला विंग राष्ट्रीय महिला मोर्चा के माध्यम से विद्यालयों तथा महाविद्यालयों में मुस्लिम छात्रों के बीच अपने कट्टरता कार्यक्रम का गति के साथ विस्तार कर रहा है। इसी तरह, जमात–ए–इस्लामी हिन्द की गर्ल् इस्लामिक् ऑर्गनाइजेशन् (बालिका इस्लामी संगठन), सॉलिडेरिटी यूथ् मूवमेंट और स्टूडेण्ट् इस्लामिक् ऑर्गनाइजेशन् आदि संगठन लक्ष्यित कट्टरपन्थ कार्यों में सम्मिलित हैं।
जिहाद के बढते आक्रमणों के साथ, अब कार्रवाई करने का समय आ गया है। असीमित असहिष्णुता को सहन करने से अन्ततः हमारे राष्ट्र, सभ्यता और सनातन धर्म का विनाश ही होगा।
विधि–विधान का शासनस्थापित होना चाहिए और केन्द्र तथा राज्य सरकारों को जिहादी भीडको निष्प्रभावी करने के लिए तेजी से प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता है।सरकार हमारे क्षेत्र से कुछकट्टरतारहित मॉडलों की जाँच कर सकती है और उसे अपना सकती है।
ये मॉडल हैं :
• एशियाई डी–रेडिकलाइज़ेशन (Deradicalisation) मॉडल – अवयस्क तथा वयस्कों के लिए एक डी–रेडिकलाइज़ेशन (Deradicalisation) कैम्प का निर्माण कराए। सरकार को गज़्वा–ए–हिन्द, काफिरों की हत्या, नरक की आग में मौत, बहुदेववादियों की हत्या, मूर्तिपूजकों की हत्मा आदि सभी सन्दर्भों को हटाने का आदेश देना चाहिए। मस्जिदों, टीवी चैनलों, सोशल मीडिया तथा मैसेजिङ्ग ऐपों के माध्यम से दिए गए उपदेशों की निगरानी करे। इस्लामी/वामपन्थी असरकारी संगठन, इस्लामी शैक्षिक संस्थानों, व्यवसायों, मस्जिदों और मदरसों के वित्तपोषण की निगरानी के लिए एक तन्त्र की स्थापना करे। इण्डोनेशिया और चीन जैसे देशों में अतीत में डी–रेडिकलाइजेशन (deradicalisation) प्रक्रिया/उपायों को लागू किया जा चुका है।
• ताजिकिस्तान मॉडल – ताजिकिस्तान एक संवैधानिक रूप से पन्थनिरपेक्ष, मुस्लिम देश है जो अपनी मुस्लिम बहुसङ्ख्यक जनसङ्ख्या के उग्रवाद/कट्टरपन्थ को प्रतिबन्धित करता है। ताजिकिस्तानी यें इस्लाम की हनाफ़ी विचारधारा से सम्बन्धित 98% सुन्नी मुसलमान हैं। ताजिकिस्तान ने एक निश्चित सीमा से अधिक पुरुषों के लिए दाढ़ी प्रतिबन्धित कर दी है; महिलाओं के लिए पूरे चेहरे के घूँघट पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। अगर महिलाएँ अपना सिर ढाँकना चाहती हैं, तो वे ढीले दुपट्टे से ऐसा कर सकती हैं। 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे मस्जिदों में नहीं जा सकते हैं, 35 वर्ष से कम आयु के लोगों के लिए हज पर प्रतिबन्ध है, और मस्जिदों में धर्मोपदेश के विषय सरकार द्वारा पूर्व–अनुमोदित हैं। ताजिकिस्तान ने ऐसे कडे प्रतिबन्ध इसलिए लगाए हैं ताकि ताजिकिस्तानी संस्कृति पर अरब की संस्कृति हावी न हो जाय।
• भारतीय मॉडल – निष्पक्षता, अनुशासन और नियम के आधार पर एक देसी मॉडल विकसित किया जाना चाहिए। देसी मॉडल भारत की सरस्वती–सिन्धु सभ्यता पर आधारित हो सकता है जिसमें इब्राहीमी वर्चस्व के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। इस मॉडल के अन्तर्गत विशिष्ट उपायों में समान नागरिक संहिता तथा राष्ट्रीय नागरिक पञ्जिका (NRC) का कार्यान्वयन, अवैध बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं का निर्वासन आदि सम्मिलित हो सकते हैं। जो लोग दंगों में भाग लेते हैं, जिनमें मास्टरमाइण्ड और डिजिटल् रूप से दङ्गा भडकानेवाले लोगों के सामाजिक लाभों को निलम्बित कर दिया जाना चाहिए। सार्वजनिक क्षेत्र के बैङ्कों से लेकर ऋण लेने तक उनको प्रतिबन्धित किया जाना चाहिए, मतदान के अधिकार (कारावास में बन्द अपराधियों के समान) को भी कुछ समय के लाए निलम्बित कर देना चाहिए, अस्थायी रूप से ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, आधार कार्ड लाभ, सरकारी नौकरी, राज्य तथा केन्द्र सरकार की पेंशन, केन्द्र सरकार की छात्रवृत्ति, आवास योजना आदि को निलम्बित कर देना चाहिए। उन सङ्गठनों को भी दण्डित करें जो आतङ्कवादी समूहों तथा आतङ्कवादी संगठनों के साथ; पाकिस्तान, तुर्की, कुवैत और कतर जैसे आतंकी समूहों और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों से जुड़े असरकारी सङ्गठनों पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए। पाकिस्तान, तुर्की, कतर और कुवैत से पैसा लेने वाले सभी असरकारी सङ्गठनों की जाँच होनी चाहिए।
जिहादी भीड द्वारा किए जानेवाले जनसंहार से हिन्दू एक कदम दूर हैं। विधानों का पालन करने वाले हिन्दू अभी भी संविधान में विश्वास रखते हैं, इस महत्वपूर्ण मोड पर भी हिन्दू सरकार की ओर देखते हैं ताकि उनके जीवन एवं आजीविका की रक्षा के लिए सरकार कड़ी कार्रवाई करे।
Original article in English: Right Time to De-radicalise Indian Muslims
Translated by Adarsh Shah @adarshhah
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