अग्निपथ योजना के विरोध में देश भर में जिस तरह से अफवाह और भ्रम फैलाकर देश का माहौल खराब किया जा रहा है उसे लेकर अब सरकार और सेना के अधिकारियों ने भी अपना रुख साफ करते हुए बड़ा एलान किया है.

अग्निपथ योजना के खिलाफ सड़कों पर उतरकर जिस तरह से उपद्रवी सरकारी संपत्ति को बर्बाद कर रहे हैं उसे लेकर तीनों सेनाओं के अधिकारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि अग्निपथ योजना किसी भी हाल में रद्द नहीं होगी। देखा जाए तो जब से सरकार ने अग्निपथ योजना का एलान किया है उसके बाद से ही कल तक जो युवा देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत सेना में जाने को उत्सुक थे वो देश की सार्वजनिक संपत्ति को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं . वहीं कांग्रेस समेत विपक्षी दल और वामपंथियों ने इस विरोध में आग में घी डालने का काम किया है क्योंकि जो काम वे पिछले 8 सालों में नहीं कर पाए वो हिंसा के सहारे पूरा होता उन्हें दिख रहा है.

अग्निपथ योजना के खिलाफ देशभर में हो रहे प्रदर्शन के बीच तीनों सेनाओं ने साझा बयान में साफ कर दिया है कि अग्निपथ योजना को वापस नहीं लिया जाएगा। लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कहा कि अग्निवीरों को सियाचिन और अन्य क्षेत्रों में वही भत्ता और सुविधाएं मिलेंगी जो वर्तमान में नियमित सैनिकों पर लागू होती है। सेवा शर्तों में उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होगा। इसके साथ ही देश की सेवा में बलिदान देने वाले अग्निवीरों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।

जनरल पुरी ने कहा कि अनुशासन भारतीय सेना की नींव में है। सेना में आगजनी, तोड़फोड़ करने वालों के लिए कोई जगह नहीं है। साथ ही अग्निवीर बनने वाले लोगों को एक प्रमाण पत्र देना होगा कि वे विरोध या बर्बरता का हिस्सा नहीं थे। सेना में भर्ती के लिए पुलिस वेरिफिकेशन 100% है, उसके बिना कोई भी शामिल नहीं हो सकता। जनरल पुरी ने कहा कि जिस भी उम्मीदवार के खिलाफ FIR होगी, वो सेना का हिस्सा नहीं बन सकेगा। उम्मीदवारों को नामांकन फॉर्म के हिस्से के रूप में लिखने के लिए कहा जाएगा कि वे आगजनी का हिस्सा नहीं थे, उनका पुलिस सत्यापन किया जाएगा।

पिछले 5 दिनों से मोदी सरकार के खिलाफ अग्निपथ योजना के नाम पर जमकर तोड़फोड़ और विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. हिंसा को विपक्षी दलों और वामपंथियों का भी साथ मिल रहा है . लेकिन अब सैन्य अधिकारियों की चेतावनी के बाद उपद्रवियों के सारे दावे हवा हवाई हो चुके हैं. योजना को लेकर भ्रम और अफवाहों के पीछे भागते युवा अभ्यर्थी चाहे छाती पीटें , सिर पटके या फिर विक्टिम कार्ड खेले, सरकार इनके घड़ियाली आंसुओं से पिघलने वाली नहीं . अगर इन्हें ‘अग्विनीर’ बनना है तो कागज तो दिखाने ही पड़ेंगे.

 

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