जब अभिनेता ने नेता बने सुनील दत्त के , ड्रग्स में ऊबते डूबते बेटे ने , मुंबई बेम विस्फोट करने वाले आतंकियों के साथ हाथ मिला लिया और ऐके 47 , ऐके 56 जैसे हथियार घर पर रख लिए और जब पकडे गए तो उस समय हिंदी सिनेमा का शायद ही कोई बचा हो जिसने संजय दत्त के समर्थन में , और उनकी गिरफ्तारी के विरोध में तख्ती न उठाई हो। बड़े बड़े फोटो शूट कैम्पेन चले संजय दत्त को जेल से बाहर लाने के लिए , लेकिन हुआ क्या आखिरकार उन्हें अपनी सज़ा पूरी करके ही जेल से छुटकारा मिला।
अब मामला उस अभिनेता के परिवार उसके बेटे का जो हो खुद को सिनेमा का किंग यानि राजा बुलाता /समझता हो और मामला भी कैसा -ड्रग्स से जुड़ा -अब वो ड्रग्स के सेवन का मामला हो या ड्रग्स के रैकेट से जुड़े होने का ये तो जाँच के बाद ही पता चलेगा – मामला ड्रग्स से जुड़ा हुआ है। और फ़िल्मी दुनिया की नज़र में देखा जाए तो – अरे सिर्फ ड्रग्स ही तो है। उस फ़िल्मी दुनिया की नज़र में जिसकी नज़र में सुशांत की मौत भी कुछ नहीं होने जैसा था।
तो अब अगर उस राजा खान के साहबजादे आर्यन खान जिसकी उम्र अभी सिर्फ , सिर्फ पर ज्यादा जोर डालें , 23 साल है उसकी गिरफ्तारी हुई , रिमांड और फिर जेल हो गई , ऊपर से फट्ट और फट्टाक से जमानत नहीं हुई , नीचे ऊपर की हर अदालत ने खारिज कर दिया। तो ऐसे में फिर सबका लहालोट होना तो बनता ही है -इस देश में तो बनता ही है। और लोगबाग हो भी रहे हैं।
और हो भी क्यों न ? याद करिये कैसे गुस्से में लाल होकर मशहूर अभिनेत्री जाया बच्चन ने संसद में , भाजपा सांसद रवि किशन को बॉलीवुड में ड्रग्स के फैलते जाल का सच बोलने पर कितनी खरी खोटी सुनाई थी। बाद में पता चला कि उन्हें इतना गुस्सा इसलिए आया था क्यूंकि खुद उनकी पुत्री भी इसके शिकंजे में फँस कर अपना जीवन बर्बाद कर चुकी थी।
हाल और हालात सच में ही ऐसे हैं कि शायद ही कोई बचा हुआ हो इस नशे और यौन उन्मुक्तता के इस दलदल में जो आकंठ नहीं धँसा हुआ है। असल में करोड़ों रूपए की कमाई और फिर उस पैसे से छद्म उपभोक्तावादी जीवन जीने की ललक ने अभिव्यक्ति और समाज का आईना माने जाने वाले इस स्तम्भ को आज सिर्फ और सिर्फ बदनामी के किस्से वाला एक कस्बा सा बना का रख दिया है। तो अगर ये कोयले का कस्बा अपने हाथ खड़े करके बचाता भी है तो भी वो उसकी किस्मत को कालिख ही लगाएगा।
अब दो टूक इस पर भी कि जो ये कह रहे हैं कि आर्यन की उम्र अभी मात्र 23 वर्ष की है इसलिए उसे इस अपराध से रियायत दी जानी चाहिए / पहली बात दिल्ली बलात्कार काण्ड के बाद कानूनों में किए गए परिवर्तन और नए कानून के मुताबिक़ अब 16 वर्ष से ऊपर का कोई किशोर यदि गंभीर अपराध में लिप्त पाया जाता है तो उसे न्यायालय द्वारा जांचने और घोषित करने के बाद किसी बालिग़ अपराधी की तरह उस पर मुकदमा चला कर कठोरतम दंड दिया जा सकता है। आर्यन तो खैर फिर भी २३ वर्ष का अच्छा खासा , बहुत ही ज्यादा अच्छी परवरिश और शिक्षा ग्रहण करने वाला उच्च घराने का किशोर है।
कानून की बारीकी समझने वाले अच्छी तरह से समझ रहे होंगे कि आर्यन को इतनी जल्दी जमानत नहीं दिए जाने के पीछे अदालत के पास पर्याप्त आधार और तर्क हैं और निसंदेह ही इतने साक्ष्य तो अवश्य ही कि , जाँच का महत्वपूर्ण भाग पूरा होने तक उन्हें इस अपराध के लिए थोड़े दिनों तक अपने माँ पिता और अपनी उच्च स्तर की जीवन शैली से वंचित रखा जाए।
नारकोटिक्स विभाग की जाँच अभी जारी है और जो बार बार एजेंसी पर एक मुस्लिम अभिनेता होने के कारण उनके पुत्र को परेशान करने जैसा बता रहे थे उनके कलेजे में शायद थोड़ी ढंड तब पड़ी होगी जब अभिनेता चंकी पांडे की पुत्री अनन्या पांडे भी पूछताछ के लिए एजेंसी के दफ्तर में पेश हुईं।
तो आर्यन प्रकरण में ये बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि , शाहरुख , आमिर , अक्षय या अजय कोई भी अभिनेता अभिनेत्री स्वयं में समाज का प्रतिनिधि होता है , उनका आदर्श होता है लोग उन्हें अनुसरण करना चाहते हैं ऐसे में उनकी ये जिम्मेदारी ज्यादा हो जाती है कि वे अपने जीवन और व्यवहार से समाज में एक अच्छा उदाहरण और आदर्श प्रस्तुत कर सकें , किन्तु जिनसे अपना परिवार ही नहीं संभल पा रहा उनसे देश और समाज के लिए क्या उम्मीद की जाए ?
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