दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को बड़ी जीत मिली है इसके अलावा दिल्ली यूनिवर्सिटी के तमाम कॉलेज में हुए मतदान में भी एबीवीपी ने अपना परचम लहराया है। अब ऐसे में बड़े सवाल उठ रहे हैं कि पिछले 2 साल से एनएसयूआई के तमाम कार्यकर्ता जो मेहनत कर रहे थे उसके ऊपर पानी क्यों फिर गया? आखिर क्यों दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने एक बार फिर NSUI को नकार दिया?
NSUI के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार हितेश गुलिया बीते कई महीनो से दिल्ली विश्वविद्यालय के तमाम कॉलेज में जाकर छात्रों से मिल रहे थे,मगर इसके बावजूद अध्यक्ष पद पर उनकी हार हुई है जबकि दूसरी अन्य संगठन के कार्यकर्ता भी कोविड काल के दौरान लगातार विश्वविद्यालय के तमाम हिस्सों में कम कर रहे थे मगर उन्हें भी अपने पद पर हार का मुंह देखना पड़ा है।
सूत्रों की माने तो छात्र संघ चुनाव में मिली इस हार से NSUI के कार्यकर्ताओं में बेहद रोष है और वे लोग दबी जुबान में इसके लिए जिम्मेदार कन्हैया कुमार को ठहरा रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर कुछ एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने हमें बताया है कि कन्हैया कुमार की छवि छात्रों के बीच में देश विरोधी की बन चुकी है और इसी के चलते जब से कन्हैया कुमार को NSUI का अध्यक्ष बनाया गया है तभी से छात्र खुश नहीं हैं।
नाम न छापने की शर्त पर कुछ छात्र कहते हैं कि आखिर क्यों देश विरोधी छवि वाले कन्हैया कुमार को राहुल गांधी ने NSUI का अध्यक्ष बनाया है और इसी के चलते छात्रों ने NSUI को इतनी कड़ी मेहनत के बावजूद भी नकार दिया है।
दरअसल कन्हैया कुमार को लेकर देश में जो एक छवि बनी हुई है उससे सामंजस्य दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र नहीं बिठा पाए हैं और इसी वजह से एनएसयूआई को अध्यक्ष पद समेत दिल्ली के तमाम बड़े कॉलेज में हार का सामना करना पड़ा है। सवाल तो पूछा जाना चाहिए कि आखिर क्यों राहुल गांधी को सभी एनएसयूआई कार्यकर्ताओं में वह विशेष गुण नहीं दिखा जो उन्हें एंटी देश की छवि वाले कन्हैया कुमार में दिख गया और आखिर क्यों उन्होंने कन्हैया कुमार को NSUI का अध्यक्ष बना दिया आखिर क्यों राहुल गांधी वामपंथी गैंग और NGO गैंग की गोदी में खेल रहे हैं?
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