महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं के साथ हुई बर्बरता को कौन भूल सकता है. खून की प्यासी भीड़ ने दो जूना अखाड़ा के साधु– चिकाने महाराज कल्पवृक्षगिरि और सुशील गिरी महाराज को बर्बर तरीके से पीटकर-पीटकर मार दिया था और पुलिस मूकदर्शक होकर सारा तमाशा देखती रही। साधु पैर पकड़ कर गिड़गिड़ा रहे थे, लेकिन पुलिस कुछ नहीं कर रही थी। वो भयानक मंजर भुलाए नहीं भूला जा सकता.
एक बार फिर साधुओं के साथ वही बर्बरता कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में देखने को मिली. जहां दुर्ग जिले में साधुओं की बेरहमी से पिटाई का वीडियो वायरल हो रहा है. मीडिया रिपोर्ट के जहां भीड़ ने बच्चा चोरी के शक में साधुओं को जमकर पीट दिया. जब पुलिस की टीम इस जगह पर साधुओं को बचाने के लिए पहुंची तो भीड़ ने उनपर भी हमला किया. लोगों ने लात-घूंसों और डंडों से साधुओं को इतना मारा कि एक साधु का सिर फट गया है। वहीं 2 और साधु भी बुरी तरह से घायल हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये साधु कहीं जा रहे थे तभी किसी ने बच्चा चोर की आशंका जताई. बाद में बच्चा चोरी की अफवाह पर जुटी भीड़ ने साधुओं पर हमला कर दिया. सोशल मीडिया पर पिटाई का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है.
लेकिन सवाल ये कि अफवाह, शक और गलतफहमी के चलते साधुओं पर हमले कब तक होते रहेंगे? पिछले महीने ही महाराष्ट्र के सांगली में चार साधुओं की भीड़ ने बच्चा चोरी के शक में बुरी तरह से पिटाई की गई थी. इसका भी वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ था. वहीं पालघर में भी साधुओं की हत्या मामले में पुलिस ने अपना बचाव करने के लिए पहले कहा था कि वे साधु बच्चा चोरी के चलते भीड़ का शिकार हुए थे।
लेकिन विडंबना देखिए लिंचिंग को लेकर देश की राजनीति में आए दिन बवाल मचा रहता है, अल्पसंख्यकों की लिंचिंग को लेकर छाती पीटने वाले लोग साधुओं की हत्या और साधुओं पर हो रहे हमलों को लेकर चुप्पी साधे बैठे रहते हैं. वैसे उंगली उन लोगों की तरफ भी उठते हैं जो समाज सेवा के नाम पर आंदोलन करके केवल एक वर्ग की आवाज को ही बुलंद करते हैं क्योंकि ऐसा करने से ही शायद उनकी राजनीति सेट होती है!
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.