मणिपुर का इतिहास स्वर्णिम मेती राजाओं से परिपूर्ण रहा है ,पूरा मणिपुर उनकी 2000 साल पुरानी से लेकर अब तक की गौरव गाथा याद करता है।मैं कई लोगों का संबंध महाभारत काल में अर्जुन और उसकी पत्नी चित्रांगदा के वंशजों से है इसी कारण से अधिकतर मैती जाति के लोग भगवान कृष्ण के परम भक्त हैं और उनकी आराधना किया करते हैं।
मणिपुर को गौरव है अपने बाराखंभा जैसे राजाओं पर जिन्होंने मणिपुर को स्वर्णिम प्रदेश बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। कभी मणिपुर का साम्राज्य बर्मा से लेकर आसाम तक हुआ करता था ,जहां कृष्ण भगवान के भक्ति गीत से पूरा क्षेत्र समृद्ध था ,मणिपुर की औरतें बिना नहाए अपने रसोईघर में प्रवेश नही करती है।उनके पहला भोग भगवान कृष्ण को लगता है।
ऐसे भक्ति भाव शांति से रहने वाली जाति को अचानक कुकियो की नजर लग गई है क्योंकि उन्हें मणिपुर में आदिवासी का दर्जा प्राप्त है। वो बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर पा रहें मणिपुर में कोई दूसरी और जनजाति आ जाए। अभी मैटती को जनजाति का दर्जा प्राप्त नहीं है जिसकी कारण वहां के परिक्षेत्र बहुत तेजी से बदल रहा है और आज कुकी जिनकी अधिकांश आबादी इसाई बन धीरे-धीरे वन क्षेत्रों को कब्जा कर रही है और अपने आबादी वह सुरक्षित आदिवासी क्षेत्र में शामिल कर रही है, जिसके पश्चात जो डेमोग्राफी परिवर्तन के कारण वहां से मैती का निर्वाचन में लड़ना, उनका प्रतिनिधित्व खत्म होता है ,उनकी प्रतिभा का लगातार नुकसान हो रहा है उन्हें नौकरियों में दिक्कत हो रही है ,विश्वविद्यालयों में जगह लेने में समस्या उत्पन्न हो रही है।
ऐसे में जब उन्होंने शांतिपूर्वक लड़ाई लड़के उच्च न्यायालय के माध्यम से अपने लिए आदिवासी होने का दर्जा प्राप्त करने की मांग की जिसका न्यायालय ने समर्थन करते हुए मणिपुर सरकार को इसका निर्देश दिया, इसके बाद कुकी को जिनके अंदर जो अलगाववादी भावना थी वह भड़क पड़ी और उन्होंने मेतीयो के घर जलाने चालू कर दिए, उनकी औरतों के साथ बलात्कार किया गया, लोगों को जिंदा मार दिया गया, कई लोगों को लहूलुहान कर दिया गया, बूढ़ी औरतों से लेकर छोटे बच्चे तक को जिंदा जलाया गया है।
उन्हें डर इस बात का है कि उनकी अफीम की खेती फिर से बंद हो जाएगी ,ऐसे भी जब से वीरेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री के रूप में मोर्चा संभाला है उन्होंने अफीम की खेती को जड़ से हटाने का संकल्प लिया है, कुकी लोगो ने कई सुरक्षित जंगलों को काट कर के उन्हें अफीम के खेतों में बदल दिया और वहां पर गैरकानूनी तरीके से अफीम की खेती की जाती है और उस को नुकसान पहुंचाया जाता है। इसके साथ ही साथ चर्च एवं मिशनरी ओ द्वारा उन्हें संपोषित किया जाता है उन्हें भी विदेश से बढ़िया हथियार मिलता है और लगातार धन मिलता है जिसके कारण वह अपने क्षेत्रों में हिंदुओं को देखना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते। इसका सबसे बड़ा उदाहरण मणिपुर का चूड़चांदपुर इलाका है जहां कुकी ने पूरी तरह से कब्जा करके हिंदू मतियों के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध कर दिया गया है।
यह वही चूड़चंद्रपुर इलाका है जहां से कुकी लोगो ने सबसे पहले मैंती के साथ नरसंहार चालू किया था।
इस लड़ाई में देखा जाए तो उसे शुरुआत करने वाले भी कुकी हैं और सबसे ज्यादा मनीपुर को नुकसान करने वाले भी कुकी है।
अब तो उन्होंने साफ कह दिया है कि अब हम मैंती के साथ नहीं रह सकते ।अब हमें अपना अलग छेत्र चाहिए ताकि उसमें वह आसानी से गैर कानूनी काम कर सके, हथियारों को खरीद सके ,अफीम की खेती कर सकें और जी भर के कत्लेआम कर सकें। इन सारे काम में वहां के मिशनरी उनका समर्थन कर रहे हैं चर्च समर्थन कर रहा है और विदेशों से भी उन्हें फंडिंग आ रही है। वैसे भी उत्तर पूर्व में विभाजन कार्य शक्तियों को हमेशा से चर्च और मिशनरियों का संरक्षण प्राप्त होता है जहां-जहां ईसाइयों की आबादी ज्यादा है, वैसे क्षेत्रों में लगातार देश को तोड़ने की बात की जाती है देश का विभाजन कराने की कोशिश होती है यह हमेशा अलग स्वायत्त क्षेत्र की मांग पर उग्र वादी संगठन बनाकर हिंसा की जाती है।
मिजोरम के अलगाववादी संगठनों ने जिन्हें चर्च का सहयोग ,समर्थन प्राप्त है अपने प्रदेश से मैंती लोगो को निकालने का आदेश दे दिया है अन्यथा वह उसे जान से मारेंगे ऐसी खबरें आ रही है।
ऐसे में एक वीडियो के आधार पर मैंती को जज (judge)करना बिल्कुल भी उचित नहीं होगा, यह उनके साथ अन्याय होगा ,यह उनके साथ भेदभाव होगा, जो लोग इतने शांतिपूर्वक हैं उन्हें 1 वीडियो के आधार पर जालिम ठहरा देना बिल्कुल गलत है ।
क्योंकि यह समझना होगा कि कुकी ही जालिम है जिन्हें एक वीडियो के आधार पर कभी भी victim नहीं माना जा सकता है ।लगभग 40,000 कुकी लोग हैं जिनके पास लगभग उतने ही हथियार है। इतनी बड़ी संख्या है कि इसमें सेना की 10 टुकड़ियों आ जाती हैं और 40000 लोगों के जब एक साथ जमा होकर के एक सामूहिक हिंसा दे सकते हैं तो सोची कितना यह हिंदू मैती लोगों का नुकसान करेंगे उन्हें जान जोखिम में डाल सकते हैं उनकी बस्तियों को कैसे जला रहे होंगे। किसी भी समाज को खत्म करने के लिए परिपूर्ण है ऐसे में मणिपुर में कैसे शांति होगी को कि कब तक शांत होंगे और कितने मैती लोगों को अब तक जान देना होगा यह निर्णय भी बड़ा मुश्किल होता जा रहा है।
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