कांग्रेस और राजद को बिहार की सत्ता से बेदखल करने में अहम भूमिका निभाने वाले राम भक्त राम विलास पासवान का निधन बिहार की राजनीति के लिए बहुत बड़ी क्षति है।
एक कुशल नेता , उनके विचार और समाज में हर वर्ग में अपनी स्वीकारिता के साथ साथ राजनीतिक मौसम वैज्ञानिक के तौर पर भी खुद को स्थापित करने में सफल रहें।
क्या यह दायित्व अब चिराग पासवान संभाल पाएंगे यह देश की जनता के मन में एक सवाल है जिसका जवाब आगामी बिहार चुनाव में ही पता चलेगा।
राम विलास पासवान जैसे भी थे पर कभी भी गलत विभाजनकारी ताकतों के साथ नहीं रहे। एक दलित नेता के रूप में उन्होंने दलितों को राष्ट्रवाद से जोड़कर ही अपनी राजनीति की जो कांग्रेस, वामपंथ और देश में अन्य राज्यों के क्षेत्रीय राजनीतिक दल के लिए एक बहुत बड़ा संदेश हो सकता है।
राम विलास पासवान की छवि का साफ होना अपने आप में एक उदाहरण है जबकि लालू यादव जी के जंगल राज में सुरुआती दौर में उनके साथ थे पर उस जंगल राज के खिलाफ वह खड़े हुए और एक साकारात्मक राजनीति को बिहार में पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से नीतीश जी के साथ राजद और कांग्रेस की विभाजनकारी नीतियों के विरोधी के रूप में अपनी पहचान बनाई।
भाजपा के साथ गठबंधन ने प्रदेश में भाजपा, नीतीश और राम विलास पासवान जी के त्रिमूर्ति समीकरण ने बिहार में नई आशाओं को जन्म देने का काम किया।
राम विलास पासवान जी ने जो राजद और कांग्रेस को बिहार से मुक्त करने का सपना देखा था क्या बिहार की जनता उनका यह सपना पूरा करेगी यह आने वाला विधान सभा चुनाव का नतीजा ही तय करेगा।
एक बहुत बड़ी क्षति बिहार के लिए।
ऊपर आसमान
नीचे पासवान।
का नारा देने वाले राजनीतिक मौसम वैज्ञानिक के उपाधि से सम्मानित स्वर्गीय राम विलास पासवान जी बिहार की राजनीति में हमेशा अमर रहेंगे।
जन जन की बात
अमित कुमार के साथ।
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