तनिष्क ज्वेलरी के विज्ञापन का सोशल मीडिया पर चहुं ओर जमकर विरोध हुआ और आखिरकार तनिष्क कंपनी को चारों खाने चित्त होकर मुंह की खानी पड़ी। बेशक तनिष्क ने ऊपरी तौर पर माफीनामा मांग कर आने वाले त्योहारों के मद्देनजर मामले को सुलझाने की कोशिश की है मगर फिर भी हिंदुओं का गुस्सा कंपनी की कुटिलता के प्रति अनवरत जारी है।
कंपनी की कलई खोलने के लिए चुभते हुए व्यंग्य सोशल मीडिया पर चल रहे हैं ऐसे ही एक व्यंग्य के मुताबिक कहा जा रहा है कि तनिष्क के विज्ञापन में काम करने वाली बहू ने जब अपनी मां जी से पूछा कि मां जी क्या आपके पास कागज हैं? तो इस बात पर खफा होकर मां जी ने दिल्ली और बेंगलुरु में दंगे कर दिए। जैसे ही मां जी ने दंगे दिल्ली और बेंगलुरु में शुरू करवाए वैसे ही तनिष्क कंपनी की गंगा जमुनी तहजीब की कुटिलता पर जोरदार तमाचा लगा।
बहू ने मां जी से बस यही तो पूछा था कि क्या आपके पास कागज़ हैं? और इतना सुनते ही कट्टरता और कम्युनिस्ट जहर के कॉकटेल से भरी हुए मां जी शाहीन बाग की तरफ भागीं और वहां से ईंट उठाकर दिल्ली और बंगलुरू में फेंकने लगीं। मां जी ने बहू के लाख समझाने पर भी बात नहीं मानीं कि CAA का इस देश के मुसलमानों से कोई मतलब नहीं है। मां जी ने तनिष्क विज्ञापन के कैमरामैन शोएब भाई को कैमरा बन्द करने का इशारा किया और सहारनपुर के हलाला वाले मौलवी से जी पूछा कि क्या बहू सही कह रही है.? मौलवी जी ने भी देवबंद के मदरसा बालक प्रेमी मूफ़्ती साहब से गुफ्तगू की और तब देवबंद से दिल्ली , दिल्ली से कराची, कराची से इस्लामाबाद, इस्लामाबाद से बहरीन, बहरीन से दुबई, दुबई से ढाका तमाम फोन किए गए मगर मसला हल नहीं हुआ। आखिरकार ये तय हुआ कि 24 अकबर रोड के कांग्रेस दफ्तर से मामला समझा जाए, मगर युवराज और वाड्रा भाभी तो हरियाणा की जमीन के काग़ज़ भी नहीं समझ सके थे तो भला CAA के कागज़ का मज़मून कैसे समझते?
(शेष अगले अंक में..)
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