ज़रा कलपना करके देखिये की स्वीडन जैसे विकसित देश की सारी आधुनिक उपकरणों और संसाधनों से लैस पुलिस के कमिश्नर को सार्वजनिक रूप से आकर अपना ये दर्द बयान करना पड़ता है |
लगभग पूरी तरह से हताश और विवश , गोथेनबर्ग पुलिस के प्रमुख ,कमिश्नर एरिक नॉर्ड ने आज पूरी दुनिया को चेतावनी देते हुए बताया कि इन ख़ास समुदाय वालों को , भूल कर भी मानवता इंसानियत के नाम पर अपने यहां शरणार्थी बनाने के अनुमति देने के गलती न करें | ठीक पांच वर्ष पहले ऐसी ही गलती का खामियाजा आज पूरा देश समाज कानून सब भुगत रहे हैं |
राज्य में छिड़े हुए गैंगवार के कारण लगभग गृह युद्ध वाले हालात बना दिए गए हैं जिसका परिणाम ये निकल रहा है कि लोगों की रक्षा के मकसद से बनी पुलिस खुद ही असुरक्षित हो गई है | आज विश्व में हर देश में अलग अलग नाम और शक्ल से इस तरह के गुटों को जान बूझकर खड़ा किया गया है ताकि वो देश समाज एकाग्र होकर विकास की तरफ न बढ़ सके |
कहीं रोहिंग्या के नाम पर तो कहीं किसी और नाम पर , अपने अपने उन देशों से अपने कर्मों के कारण भगाये ये लोग पिस्सू की तरह शरीर तलाशते फिरते हैं जहां चिपक कर फिर वहां से उस देश उस समाज का रक्त चूसते रहें | इतना बड़ा सामाजिक समूह यदि खुद को कबीलाई मार काट वाली संभ्यता में रखना चाहता है तो फिर उसे इसकी कीमत भी चुकानी पड़ेगी ही |
सिर्फ मिटाना ,तोड़ना , खत्म करना कभी भी किसी भी जीवन चक्र का एक मात्र उद्देश्य नहीं हो सकता | और सबसे अधिक हैरान करने वाली बात ये कि क़ुदरत में आज तक पशु पक्षी से लेकर पादप पेड़ पौधे तक किसी ने भी अपनी ही नस्ल का संहार ऐसे मज़हब और काफिर होने के कारण नहीं किया जितना मुगलों ने किया , अफ़सोस कि ,एहसास भी नहीं है इसका उन्हें |
बहरहाल , तुर्की , पाकिस्तान जैसे खलीफाओं को दो चार बार , उत्तर कोरिया , चीन , इस्राईल आदि के सामने जाकर भी दंड पेलना चाहिए था | फिर उन्हें भी पता चलता कि टेंटुए से पकड़ के रगड़ना किसे कहते हैं ?
तो कहने का मतलब कि , स्वीडन वाले कमिश्नर जी ने कह दी है , हमारा तो बेड़ा गर्क कर दिया इन मुगलों ने , तुम लोग अपना अपना बचा लो रे दुनिया वालों
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