हिन्दुस्तान में एक बात और जो अक्सर देखने को मिल जाती है वो ये कि दुनिया में कहीं भी किसी भी देश में किसी भी कोने में मुगलों के साथ कुछ घट जाए , वे एक दूसरे को मार मरें तो भी सबसे पहला दर्द भारतीय मुगलों को ही होता था , एकदम फट्ट से | और फिर हो भी क्यों न , जब पाकिस्तान की किसी जीत ,वो भी गलती से भारत के विरूद्ध मिल गई हो उस पर भारत के किसी मोहल्ले में पटाखे जलाए जाते हों ,खुशियां मनाई जाती हो तो उस देश में क्या नहीं संभव है |
फिर मुगलिये तो वैसे भी पहले ही कहते हैं -पचास से ज्यादा देश है हमारे | और सब के सब भेड़ियों के झुण्ड की तरह हमेशा ही मार काट नोंच खाने के लिए तैयार अपने पंजों और खूनी जबड़ों के साथ | और भेड़ियों की एक और आदत होती है एक हूउउउउउउ करेगा तो सारे उसके पीछे ही हूउउउउ करने लगते हैं |
फ्रांस में एक के बाद एक हो रहे आतंकी हमलों से तंग आकर आखिरकार फ्रांस को भी अपनी फ्रेंच किस साइड करके फ्रांसीसी लट्ठ उठाना ही पड़ा | बस फिर क्या था , बेशक चीनियों की तरह उसने मुगलों की कब्र नहीं खोद डाली और उनकी दाढ़ी जिबह करके उन्हें छिले हुए अंडे जैसा नहीं भी बनाया हो तो फिर , ऐसा सूता है न | और ऐसी ऐसी जगह पर सूता है की बस ये समझिये कि कूटा फ़्रांस में है दर्द तुर्की के तशरीफ़ तक बहुत करारा हुआ है |
लेकिन दर्द जब बवासीर का हो और वो भी मुगलई बवासीर का तो फिर ये तो लाज़िमी था कि वो हिन्दुस्तान भी पहुँचे | उठा है जी बहुत करारा उठा है , इसलिए फ्रांस के राष्ट्रपति का विरोध किया जा रहा है ,
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