आज एक बार फिर पंजाब सुर्खियों में है और इसका कारण है पिछले 3 दिनों से चल रहा कथित “किसान आंदोलन”, लेकिन ठहरिए.. कही आप भी तो किसी भ्रम का शिकार नही हो गए। क्योंकि जिस प्रकार की तस्वीरें और बयान वहां से आ रहे है वो तो किसी अलग ही साजिश की तरफ इशारा कर रहे है जैसे कि..
- खालिस्तान ज़िंदाबाद के नारे, खालिस्तानी झंडे और भिंडरावाले के पोस्टर।
- प्रधानमंत्री मोदी की हत्या करने की धमकी।
- पुलिस वालों पर पत्थर फेंकना।
- लग्ज़री गाड़ियों में आंदोलन करना।
- सबसे महत्वपूर्ण कांग्रेस और विपक्षी दलों द्वारा पूर्ण समर्थन।
जो इस आंदोलन के समर्थक है वो इसे नए कृषि कानून का विरोध बता रहे है, तो एक बात बताइए क्या ये कृषि बिल सिर्फ पंजाब में ही लागू है या अन्य राज्यों के किसानों ने इस बिल को नही पढ़ा।
दूसरी बात जब पंजाब सरकार ने केंद्र द्वारा पारित बिल में संशोधन करके उसे लागू कर दिया तो फिर केंद्र के बिल का विरोध क्यों..??
इस देश का किसान बहुत ही राष्ट्रभक्त स्वाभिमानी किसान है, चाहे जो हो जाये वो कभी भी अपने विरोध में देशविरोधी कार्य नही करेगा और साथ ही वो अन्नदाता भी है जिसे इस देश के अपने करोड़ों भाई बहिनों की इस बिल से अधिक चिंता है जिसे वो किसी भी आंदोलन से अधिक महत्व देता है।
विपक्ष द्वारा केंद्र पर आरोप लगाया जा रहा है कि वो किसान विरोधी सरकार है तो ये विपक्ष ये बात भूल गया कि किसानों के बारे में सबसे अधिक लाभदायी निर्णय मोदी सरकार के द्वारा ही लिए गए है,
चाहे वो
फसल बीमा राशि को बढ़ाना हो,
कृषि उपकरणों पर सब्सिडी देना हो, किसान सम्मान निधि योजना हो,
बंजर भूमि पर सोलर पैनल लगाकर अन्य आय का जरिया बनाने वाली “कुसुम” योजना हो,
बिचौलियों को समाप्त करना हो
या अभी नया कृषि कानून हो।
मोदी सरकार को बदनाम करने की साज़िश पहले भी शाहीन बाग में रची जा चुकी है और अब दोबारा वही घटिया साजिश विपक्ष विशेषकर कांग्रेस द्वारा रची जा रही है।
इस आंदोलन के संकट को तो केंद्र सरकार जल्द से जल्द सुलझा ही देगी, बस इतना सा निवेदन है किसान भाइयों से कि आप कृपया इस भ्रमजाल में ना फंसे और अपनी सरकार पर पूरा भरोसा रखें।।
जय हिंद ????
“जय जवान जय किसान”
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