क्या ब्राह्मण समाज की संस्थाएं या संगठन मर चुके हैं या मृत अवस्था में है जहां तक बाद का कोई धर्म नहीं होता वहां एनसीईआरटी खुलेआम ब्राह्मण को आतंकवादी बता रही है
मामला यह कोई नया नहीं है कि सबसे पहले हिंदुस्तान के अंदर हिंदुओं को टारगेट करो और फिर जब हिंदू हिंदुस्तान से अलग-थलग हो जाएं तो हिंदुओं को फिर जातियों के नाम पर अलग-अलग बांटो यह काम करने वाले में वामपंथी विचारधारा की तमाम संस्थाएं और तमाम वह लोग जो वामपंथी सोच रखते हैं उन्होंने सबसे पहले हिंदुओं को मुसलमानों से हिंदुस्तान के नागरिक होने के नाम पर बांटा और जब हिंदू और मुसलमान दो भागों में बंट गए तब हिंदुओं को दलितों के नाम पर ब्राह्मणों के नाम पर राजपूत क्षत्रियों के नाम पर और ना जाने कैसी कैसी साजिश है करके पूर्ण रूप से हिंदुस्तान के टुकड़े करने में कोई कमी नहीं छोड़ी आज हिंदुस्तान के किसी भी उपक्रम में भले ही वह शिक्षा से जुड़ा हुआ हो प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़ा हुआ हो राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़ा हुआ हो वहां पर कोई ना कोई वामपंथी सोच का व्यक्ति अपनी सोच से परिचय कराने में बाज नहीं आता है केरल के अंदर एक दौर चला जिस दौर में हिंदू आतंकवाद को एक गति के साथ उछाला गया और हिंदुस्तान में बसने वाले हिंदू जिनके हृदय में हिंदुस्तान बसता है उसको एक “सैफरन टेररिज्म” के नाम से “भगवा आंतकवाद” के नाम से बदनाम करने का प्रयास किया वर्तमान में भोपाल की “सांसद प्रज्ञा ठाकुर” को “भगवा आतंकवाद” के नाम पर ना जाने कितनी यात्राएं और कितनी तकलीफ है सहन करनी पड़ी कानूनी प्रक्रिया से गुजरने के बाद वह निर्दोष साबित हुई और आज पूरे भोपाल का प्रतिनिधित्व बहन प्रज्ञा ठाकुर लोकसभा से कर रही है तो यह जो चाल है हिंदुस्तान को हिंदुओं और मुसलमानों के नाम पर तोड़ने की और उसके बाद हिंदुओं को जातियों के नाम पर तोड़ने की यह कोई आज की नई नहीं है यह पिछले कई वर्षों से इस तरह की साजिश और वामपंथी सोच वाले लोगों द्वारा किया जा रहा है
अब उसी करीब है इस वर्ष एनसीईआरटी के कक्षा 12 के इतिहास की किताब में साफ साफ शब्दों में महात्मा गांधी की हत्या को लेकर जो टिप्पणी की गई है उसमें एनसीईआरटी के जो चैप्टर तय करने वाले लोग जिन्होंने बाकायदा महात्मा गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को जाति के नाम से संबोधित करके ब्राह्मणों को आंतकवादी बताने तथा बच्चों की मानसिक मनोदशा को बदलने का प्रयास किया है एनसीईआरटी हो या सीबीएसई हो यह शिक्षा के पाठ्यक्रम आजकल शिक्षा को महत्व से ज्यादा बच्चों की मानसिकता में बदलाव करने तथा बच्चों की सोच को कूट कूट कर भरने में कुछ ज्यादा अग्रसर रहे हैं इसका जीता जागता उदाहरण कुछ दिन पहले हमारे सामने आया था जिसमें एक तीसरी क्लास के बच्चे के दिमाग में यह भर दिया जाता है मुस्लिम कौम का व्यक्ति मुस्लिम का बच्चा आज्ञाकारी होता है संस्कारी होता है और हिंदू का बच्चा आज्ञा का पालन नहीं करता है और संस्कारी होता है इस तरह की बातें पाठ के माध्यम से बच्चों के जेहन में डालने के पीछे की जो विचारधारा है वह केवल और केवल शिक्षा के आधार पर भारत की भावी पीढ़ी के दिमाग में जहर घोलने का प्रयास यह शैक्षणिक संस्थान कर रहे हैं
मैं आज इस आर्टिकल के माध्यम से कक्षा 12 एनसीईआरटी के पैटर्न में इतिहास की किताब में जो पाठ है वह कागज की कॉपी कर रहा हूं और मैं आ रहा हूं ब्राह्मण समाज की तमाम संस्थाएं संगठनों से और ब्राह्मण समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले तमाम उन लोगों से कि अब कुछ नहीं बचा है अगर आप अपने अस्तित्व अपने सम्मान को अगर नहीं बचा पाए तो आपकी भावी पीढ़ी आपको खोजते खोजते थक जाएगी ऐसा कोई कार्य मत करिए जिसकी वजह से आने वाली 20 साल बाद आपकी भावी पीढ़ी आपके बाहर के कमरे में आप की फोटो लगाने से कतराए क्योंकि आप उनके अस्तित्व और सम्मान की लड़ाई में कहीं भी अपने आप में अपनी आवाज नहीं उठाई अपने स्वार्थ और सत्ता में आप इस तरह से हो गए क्या अपने अस्तित्व की लड़ाई को छोड़ दिया ग्रामीण समाज और हिंदू समाज के लिए हमेशा अपनी आवाज उठाने वाले दिल्ली से हमारे नेता भाई कपिल मिश्रा जी से मेरा निवेदन है कि आप इस मुद्दे को सहजता से उठाएं और हवन करें ब्राह्मण समाज को जितने भी संगठन और संस्थाएं एनसीईआरटी के ऑफिस पर धरना दे और उनकी हजारों की संख्या में जो पुस्तकें हैं उन को आग के हवाले करें और उन्हें इस बात का अहसास करवाएं कि जो समाज अपने स्वाभिमान के लिए जाना जाता है अपने सम्मान के लिए जाना जाता है अपने संस्कारों के लिए जाना जाता है क्या उस सम्मान संस्कार और स्वाभिमान को एनसीईआरटी में अपने पाठ्यक्रम में लिया है अगर ब्राह्मण समाज की त्याग और बलिदान को एनसीईआरटी ने अपने पाठ्यक्रम में निकली को कोई अधिकार नहीं है ब्राह्मण समाज के किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने का, सामाजिक दोषारोपण हिंदू धर्म की धार्मिक आस्थाओं पर सवाल और हिंदू धर्म की व्यवस्थाओं पर टीका टिप्पणी करना आजकल फैशन सा बन गया है आज इस लेख के माध्यम से मैं आपको बता देना चाहता हूं आज अगर आपने अपनी भावी पीढ़ी के भविष्य के लिए इस बात को मामूली समझ कर विरोध करने का मादा अगर नहीं उठाया तो आने वाले 20 साल बाद आप की भावी पीढ़ी आप के बाहर के घर के कमरे में आप की फोटो लगाने से कतरा आएगी क्योंकि वह कहेगी कि जिस समय हमारे सम्मान और स्वाभिमान को बचाने की बात चल रही थी तब हमारे पूर्वज सत्ता लोलुपता में लीन होकर हमारी बदनामी का आनंद ले रहे थे आज इस कृत्य को मामूली समझकर छोड़ देना अपने आप में एक पाप है इसलिए आप सभी बंधुओं आगे आए और एनसीईआरटी जब तक लिखित रूप में इस बात की माफी नहीं मांगे तब तक और इस व्यवस्था को जब तक अपने पाठ्यक्रम से नहीं निकाले तब तक चैन से नहीं बैठना है शिक्षा प्रणाली के अंदर किसी भी प्रकार के जहर को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा हिंदुस्तान को साफ सुथरा रखने में आप सब का योगदान जरूरी है नाथूराम गोडसे पर टिप्पणी करके संपूर्ण ब्राह्मण समाज को बदनाम करने वाली एनसीआरटी क्या कभी ब्राह्मणों के त्याग और बलिदान के बारे में लिखकर अपने पाठ्यक्रमों में रोशनी का कार्य किया है ऐसा कतई नहीं होगा क्योंकि आजकल राजनीतिकरण हर वस्तु में होना शुरू हो गया है और किसी भी प्रकार से हिंदुस्तान की अस्मिता पर आंच आए ऐसा प्रयास इन वामपंथी विचारधारा वाले लोगों का रहता है
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