इस वीडियो के माध्यम से आप भी जानें आखिर इनके बोल कैसे है।

राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह ने 2014 में अमरोहा से राकेश टिकैत को कोंग्रेस आरएलडी के घाल मेल से लोकसभा प्रत्याशी बनाया था।
आखिर इस तरह के बयान देने की जरूरत क्या है इनको बक्कल उधेड़ दिए जाएंगे कहके क्या साबित करना चाहते हैं टिकैत।
किसानों की इज्जत सभी करते हैं और सिर्फ किसानों के कंधे पर गुमराह करके आंदोलन करना वो भी सार्वजनिक स्थान पे बाबा साहेब के बनाए संविधान का भी उलंघन है।
आंदोलन करने का अधिकार सबको है पर सरकार द्वारा दिए गए जगह पर ना की सड़क पर। आम जनता को परेशान करना कोई लोकतंत्र की गरिमा नहीं बढ़ता है।
राकेश टिकैत चुनाव में जमानत जब्त करवा चुके हैं पर जिस सरकार को देश कि करोड़ों जनता ने चुना है क्या उस सरकार का कोई अधिकार नहीं।
कानून सड़क पर खड़े रहकर खत्म हो गए तो देश की लोकतांत्रिक प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी।
इसके परिणाम क्या होंगे इसकी कल्पना करना भी असम्भव है।
जरा सोचिए अगर आरक्षण विरोधी कल इस तरह सड़क पर आ जाएं तो क्या आरक्षण भी सम्पूर्ण खत्म हो जाएगा।
क्या फिर कई संगठन इस तरह के आंदोलन को ही अपना हथियार बना कर सरकार को मजबूर करते रहेंगे।
गणतंत्र दिवस पर देश अपने शहीदों को श्रद्धांजलि देता है। सेना अपने पराक्रम का देश के अभिमान का देश की जनता को अवगत कराते हैं मगर ट्रैक्टर रैली के माध्यम से शहर में खौफ का वातावरण बनाना देश की छवि को धूमिल करने के बराबर है।
शाहीन बाग के बाद सड़क घेरने के कारण और कुछ आतंकी संगठन ने जिस तरह से दिल्ली में कत्लेआम किया वह सबको पता ही है। लोगों में एक भय तो है ही। कई जांच एजेंसी ने भी इस बात की जानकारी दी है कि आंदोलन में कुछ सरारती तत्व घुस सकते है और माहौल खराब कर सकते हैं यह जानते हुए भी अपनी जिद पर कायम रहना कहां तक उचित है।
आखिर जो बिल देश के 90% किसानों के हित में है सरकार ने इनके कारण इस कानून को एक वर्ष से अधिक समय के लिए रोक दिया है फिर भी इनका ड्रामा जारी है। अब देश की जनता भी इन आंदोलनकारी के खिलाफ हो रही है।
अगर यह कानून निरस्त हुए सड़क से तो यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था की हत्या होगी जिसको देश की विपक्षी पार्टियां हवा दे रही है।
इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज होगा यह घटना।

देश भक्त लेखक।
अमित कुमार

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