इंदिरा गांधी और शेख अब्दुल्ला ने बदल दिए थे ढाई हज़ार कश्मीरी हिन्दू गाँवों के नाम :सरकार दिलाएगी वापस उनकी पहचान

जैसे जैसे सच की परतें खुल रही हैं कांग्रेसी सरकारों की घृणित मानसिकता और मुगलपरस्ती की आड़ में रचे गए हज़ारों षडयंत्र सामने आ रहे हैं। पचास से भी अधिक सालों तक सत्ता में बने रहने के कारण कांग्रेसी नेताओं को न सिर्फ अनुचित और अन्याय करने का बल्कि उन फाइलों को सार्वजनिक होने से बचाने के लिए छुपाने /दबाने का मौक़ा भी मिलता रहा।
केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार के आने बाद एक एक कठोर निष्पक्ष और ईमानदार सरकार ने एक एक करके इस सच को बाहर लाना शुरू किया और कांग्रेस के सारे पिछले पाप अब उसके खुद के सर पर भस्मासुर बन कर खड़े हो गए हैं।
दशकों तक जम्मू कश्मीर के शासक प्रशासक खुद को भारत का हिस्सा नहीं मानने के बावजूद भी भारत के लाखों करोड़ों लोगों की कमाई से दिए गए कर ,राजकोषीय धन को लूट लूट कर खाते रहे। धारा 370 की समाप्ति और उसके बाद निकलता जम्मू कश्मीर का वो सच जो शायद कभी बाहर नहीं आता ,अब वो सात कब्रों के नीचे से निकल कर सामने आ रहा है।
अभी हाल ही में सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर के एक विवादित कानून रौशनी एक्ट को ख़त्म करते ही अब्दुल्ला। ,मेहबूबा से लेकर माइनो परवार तक द्वारा बरसों तक सरकारी जमीनों की लूट खसोट से करोड़ों रूपए का भ्रष्टाचार किये जाने का नंगा सच सामने आ गया। लेकिन इससे भी घिनौने और खतरनाक सच अभी सामने आने बाकी हैं।
इस सच के खुलासे में अगली कड़ी ये है कि इंदिरा गाँधी के शासन काल में शेख अब्दुल्ला और उसकी सरकार ने कश्मीर के हिन्दू गाँवों का नाम जबरन बदल कर मुस्लिम नाम रख दिए ताकि उनकी सनातनी पहचान को ख़त्म किया जा सके। सोचिये कितना बड़ा और गहरा षड्यंत्र रचा गया था वो भी आज नहीं ,बल्कि दशकों पहले उन प्रधानमंत्री के शासनकाल में जिसे दुनिया की सबसे शक्तिशाली महिलाओं में गिना जाता था ?
प्रेम से बोलिये ,जय हिन्द। जय भारत
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