क्या आपको पता है भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के इतिहास में ‘ब्लैक टाइगर’ के नाम से किस एजेंट को पुकारा जाता है। क्या आपको पता है Raw का एक एजेंट पाक आर्मी में तरक्की करते हुए मेजर की रैंक तक पहुंच गया था? 1979 से 1983 के बीच रविन्द्र कौशिक ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को पाकिस्तानी सेना से जुड़ी अहम जानकारियां सौंपी जो देश के लिए काफी मददगार साबित हुई। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कौशिक को ‘ब्लैक टाइगर’ नाम दिया और उस समय भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी कौशिक को ब्लैक टाइगर के नाम से ही पुकारती थीं।

रविन्द्र कौशिक उर्फ नबी अहमद को भारत का अब तक का सबसे जांबाज और शातिर अंडर कवर एजेंट माना जाता है। रविन्द्र न सिर्फ पाकिस्तानी सेना में शामिल हुए बल्कि तरक्की पाते हुए मेजर की रैंक भी नसीब हो गई। उसी दौरान रविन्द्र को इस्लाम कबूल करना पड़ा और उन्होनें वहां अमानत नाम की एक लड़की से निकाह भी किया, जिससे उन्हें एक बेटा हुआ।
23 साल की उम्र में भारतीय अंडर कवर एजेंट बने रविन्द्र कौशिक को दिल्ली में ट्रेनिंग दी गई थी। दिल्ली में ट्रेनिंग के दौरान रविन्द्र ने उर्दू और इस्लामिक शब्दों को लिखना और पहचानना सीखा। 1975 में पाकिस्तान भेजे जाने से पहले रविन्द्र से जुड़े सभी दस्तावेजों और जानकारियों को एजेंसी द्वारा नष्ट कर दिया गया था और उनके परिवार से भी जुड़ी जानकारी छुपा दी गई थी।

पाकिस्तान पहुंचते ही वो रविन्द्र कौशिक से नबी अहमद हो गए और कराची विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई पूरी की। वकालत पूरी हो जाने के बाद रविन्द्र पाकिस्तानी सेना में शामिल हो गए और वहां से शुरू रविन्द्र को असली जीवन में एक नया किरदार निभाने का मौका मिला।

पाकिस्तान के माहौल में अच्छे खासे ढल चुके रविन्द्र उर्फ नबी अहमद के राज से आखिरकार उस समय पर्दा उठा जब रॉ ने रविन्द्र के पास भारत से एक और जासूस को रहने के लिए भेजा जिसे बाद में पाकिस्तानी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने धर लिया। इसके बाद रविन्द्र को भी गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें सजा-ए-मौत सुनाई गई, जिसे बाद में आजीवन कारावास की सजा में तब्दील कर दिया गया।

इस दरम्यिान ही रविन्द्र को टीबी और दिल की बीमारी हो गई और उनका मुल्तान की सेंट्रल जेल में निधन हो गया। भारत के ब्लैक टाइगर को पाकिस्तानी की जेलों में करीब दो सालों तक खूब टॉर्चर किया गया था और बहुत ही दयनीय हालत में उन्हें पाकिस्तानी की जेलों में रखा जाता था।

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