देश में चल रहे कोरोनावायरस  के लिए आप बेशक सरकारी बदइंतजामी को जिम्मेदार ठहराए मगर आपको यह मानना पड़ेगा कि बीते कई महीनों से चल रहा तथाकथित किसान आंदोलन भी इस बीमारी के लिए जिम्मेदार है । जनवरी, फरवरी, मार्च में जिस तरह से किसान आंदोलन के नाम पर तथाकथित भीड़ जमा हुई थी और उस भीड़ ने कोविड के सारे नियमों की धज्जियां उड़ा दी थी उसका नतीजा भी कोविड लहर के तौर पर देखने को मिल रहा है। 


राकेश टिकैत की रैलियों में साफ तौर पर कहा जाता था कि कोरोना कोई बीमारी नहीं है बल्कि यह मोदी सरकार का एक षड्यंत्र है और इस पर ध्यान ना दें। रैली मंचों से साफ तौर पर कहा जाता था कि कोरोनावायरस के चलते हजारों की भीड़ में कोई भी शख्स मुंह पर गमछा और मांस नही पहने। रैली में उमड़ी भीड़ में से कोई भी शख्स मुंह पर मास्क नहीं पहनता था और कोरोनावायरस को गंभीरता से नहीं लेता था इसी का नतीजा है कि अब एकाएक देश में इतनी बड़ी संख्या में केस दर्ज किए जा रहे हैं।


बड़ा सवाल उठता है कि आपदा महामारी के कोविड प्रोटोकोल उल्लंघन के चलते.. क्या इन तथाकथित किसान नेताओं पर कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए?

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