आंदोलन या दंगा, प्रदर्शनकारी या दंगाई। क्या कहना चाहिए जो प्रदर्शन के नाम पे देश की संपत्ति को नुक्सान पहुंचाते है। क्या किसान यह चाहता है , जो अनन्दाता मेहनत करके फ़सल बोता है क्या वो एक खेत को उजाड़ सकता है। जिस देश में जय जवान जय किसान का नारा लगाया जाता है क्या उस देश में ऐसा मुमकिन है। यह देश हमारा अपना घर है तो क्या कोई घर का सदस्य अपने ही घर को नुक्सान पहुंचा सकता है। नहीं यह तो हो ही नहीं सकता तो यह कौन है और क्या कर रहे है , फिर तो यह प्रदर्शन नहीं, दंगा ही है। दंगा आख़िर क्यों ?

सचाई आख़िर क्या है इन दंगो के पीछे ? कौन है जो ये सब करवा कर खुश हो रहा है ? किसका मक़सद पूरा हो रहा है ? क्या जब दाल नही गली तो दंगा करवा दिया? कंधे पर रख कर आख़िर बंदूक़ कोन चला रहा है ? क्या किसान आंदोलन चाहता है ?

क्या वो सिंह जो खालसा के लिए दान धर्म को पहले रखते है, किसी की मदद करने पहले पहुँचते है वो ये सब कर सकते है ? क्या आतंकवाद हमारे ऊपर इतना हावी हो सकता है ? इन सवालों का जवाब पहले हमको अपने आप से पूछना होगा । अभी जहाँ देश आर्थिक स्थिति से गुज़र रहा है वही इन लोगो को शर्म आनी चाहिए हम सबको एक जुट हो कर साथ देना चाहिए । अजी !आंदोलन तो बहाना है इसकी आड़ में मक़सद तो कुछ और ही है ! हमारा किसान तो सिर्फ़ हल चलाना जानता है उसे आतंकवाद का पाठ ना ही पड़ाओ तो अच्छा होगा उसके हाथ में हल ही अच्छा लगेगा समझे !

सिंह हमारे देश का हमेशा हित के लिए खड़े है और लड़े है । सच्चे पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना अपने भाई बहनो की रक्षा और अपने देश को बचाने के लिए की थी। पर आज क्या हो रहा है ? वो रक्षा के लिए बने है,कोई तो है जो उन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहा है।

ये सिंह नही हो सकते और ना ही किसान है इन्होंने सिर्फ़ चोला पहना हुआ है सिंह व किसान की आड़ में किसी का बहुत बड़ा दिमाग़ है इसके पीछे याद है ना अंगरेजो ने भी यही नीति अपनाई थी । हम जनता को पता है हक़ीक़त जानते है तुम लोग (जिनका ये आंदोलन कराने में हाथ है ) डरे हुए हो इसलिए ये बेकार की घटिया हरकत कर रहे हो संभल जाओ अभी भी वक्त है । हमारे देश पर बुरी नज़र डालने का हक़ हमने किसी को नही दिया तो ख़बरदार ! तुम चंद लोग हम करोड़ों जनता के आगे कुछ नही । सुधार जाओ ।

एक बार सोचो हम क्या कर रहे है और किसके साथ कर रहे है। आख़िर दंगा क्यों ?

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