पूरे जग को अपना कहते ,हम सबको अपनाने वाले
हम त्याग धर्म के पोषक है ,हम क्षमादान करने वाले
हम गीता पढ़ने वाले है,हम रामायण के गायक है
श्री राम प्रभु के वंशज हम,केशव से अपने नायक है

हम करते है अनुनय पहले , हम संयम से समझाते है
रावण हो या हो दुर्योधन , हम शांति दूत भिजवाते है
सुन कटु वचनों को शांत रहे ,हम शिशुपालो को सहते है
हम बंटवारा भी सर रखते , पर मर्यादा में रहते है
हम ज्ञान ध्यान बतलाते है , अविरल निर्झर फलदायक है
श्री राम प्रभु के वंशज हम, केशव से अपने नायक है

हम तान सुनाते मुरली की , पर नाग नाथना आता है
हम सागर को मथ सकते है ,औ सेतु बांधना आता है
हम असुरों के संहारक है , हम दुश्मन दल के काल बने
माँ दुर्गा , और माँ पार्वती , माँ काली सम विकराल बने
हम शरणागत के रक्षक है , दुश्मन के लिए हम सायक है
श्री राम प्रभु के वंशज हम,केशव से अपने नायक है

केवल गिरिवर धारी न समझ, हम चक्र सुदर्शन धारी है
हर बार धर्म स्थापित कर के , हमने धरती भी तारी है
गर बुरी नज़र कोई डाले , ये बात हमे तो क्रुद्ध करे
जो बातों से नही बात बने , हम निडर हो कर युद्ध करे
हम उससे वो वर्ताव करे , जो जिस सलूक के लायक है
श्री राम प्रभु के वंशज हम, केशव से अपने नायक है

_______________मनोज डागा

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