महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे से लगभग 100 किमी दूर महाबलेश्वर हिल स्टेशन के पास सुंदर पंचगनी पहाड़ी क्षेत्र में आधुनिक भारत से परे प्राकृतिक सौंदर्य की गोद मे बसा ये गांव आपके बुजुर्गों की सहेजी हुई विरासत का प्रतीक है।

यदि आप आधुनिकता और अभियांत्रिकी के इस वर्तमान दौर में भी पुस्तकें पढ़ने का शौक रखते हैं तो ये भिलार गाँव आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

महाराष्ट्र सरकार और मराठी विकास संस्थान की ओर से यहां गाँव के 35 घरों में पुस्तकालय की सेवा 2015 में प्रारम्भ की गई थी जिसे गांव के रहवासियों ने बखूबी परिचालित किया है।

पुस्तकालय में विभिन्न विषयों साहित्य, कविता, धर्म, महिला, इतिहास, पर्यावरण, लोक साहित्य, आत्मकथाओं से संबंधित 50 हज़ार से भी अधिक किताबें निशुल्क पाठन के लिए उपलब्ध हैं।

यदि आप किताबें पढ़ने के साथ चाय नाश्ते के इंतेज़ाम की चाहत भी रखते हैं तो न्यूनतम शुल्क के साथ स्थानीय नाश्ते का आनंद भी ले सकते हैं इसी के साथ यहां सशुल्क रहवासीय सुविधा भी उपलब्ध है।

यकीन मानिए मिट्टी की खुशबू के बीच कभी खाट पर लेटकर, कभी आंगन में झूले पर तो कभी स्ट्राबेरी के खेतों के बीच अपनी मनपसंद किताबों को पढ़कर आप ना केवल पर्यटन का आनंद ले सकते हैं अपितु सैकड़ों वर्षों पहले का जीवन आज भी जी सकते हैं।

आशा करता हूँ मेरा ये लेख आपको अवश्य पसंद आया होगा यदि आप इस गांव में जाते हैं तो अपने अनुभवों को मेरे साथ ज़रूर साझा कीजियेगा।

जय हिंद ?

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