ये वो ‘सिंह’ नहीं जिनके लिए गुरू साहिब ने खालसा की स्थापना की थी…ये दंगाई हैं..ये देशद्रोही हैं..ये गद्दार हैं।

आंदोलन या दंगा, प्रदर्शनकारी या दंगाई। क्या कहना चाहिए जो प्रदर्शन के नाम पे देश की संपत्ति को नुक्सान पहुंचाते है। क्या किसान यह चाहता है , जो अनन्दाता मेहनत करके फ़सल बोता है क्या वो एक खेत को उजाड़ सकता है। जिस देश में जय जवान जय किसान का नारा लगाया जाता है क्या उस देश में ऐसा मुमकिन है। यह देश हमारा अपना घर है तो क्या कोई घर का सदस्य अपने ही घर को नुक्सान पहुंचा सकता है। नहीं यह तो हो ही नहीं सकता तो यह कौन है और क्या कर रहे है , फिर तो यह प्रदर्शन नहीं, दंगा ही है। दंगा आख़िर क्यों ?