बीते 70 सालों में देश को केवल यही बताया गया कि आजादी दिलवाने में नेहरू-गांधी परिवार का सबसे ज्यादा योगदान रहा है मगर उन तमाम अमर स्वतंत्रता सेनानियों के नाम को इतिहास से मिटा दिया गया ,जिन्होंने भारत माता के लिए अपने प्राण न्योछवर किए थे। महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की आज जयंती है ऐसे में हम आपको बताते हैं कि जब चंद्रशेखर आजाद को अंग्रेजों ने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में मारा था तब उनकी मुखबिरी की असली वजह कौन थे…

चंद्रशेखर आज़ाद की मौत से जुडी फ़ाइल आज भी लखनऊ के सीआइडी ऑफिस- गोखले मार्ग मे रखी है। उस फ़ाइल को नेहरु ने सार्वजनिक करने से मना कर दिया। इतना ही नही नेहरु ने यूपी के प्रथम मुख्यमंत्री गोविन्द बल्लभ पन्त को उस फ़ाइल को नष्ट करने का आदेश दिया था ,लेकिन चूँकि पन्त जी खुद एक महान क्रांतिकारी रहे थे इसलिए उन्होंने नेहरु को झूठी सुचना दी की उस फ़ाइल को नष्ट कर दिया गया है ..

सुनिए, उस फ़ाइल मे इलाहबाद के तत्कालीन पुलिस सुपरिटेंडेंट मिस्टर नॉट वावर के बयान दर्ज है जिसके अगुवाई मे ही पुलिस ने अल्फ्रेड पार्क मे बैठे आजाद को घेर लिया था और एक भीषण गोलीबारी के बाद आज़ाद शहीद हुए |

उन्होंने अपने बयान मे कहा है कि “मै खाना खा रहा था तभी नेहरु का एक संदेशवाहक आया, उसने कहा कि नेहरु जी ने एक संदेश दिया है कि आपका शिकार अल्फ्रेड पार्क मे है और तीन बजे तक रहेगा । मै कुछ समझा नही फिर मैं तुरंत आनंद भवन भागा और नेहरु ने बताया कि अभी आज़ाद अपने साथियो के साथ आया था, वो रूस जाने के लिए कह रहा था, मैंने उसे अल्फ्रेड पार्क मे बैठने को कहा है।”

“फिर मै बिना देरी किये पुलिस बल लेकर अल्फ्रेड पार्क को चारों ओर घेर लिया और आजाद को आत्मसमर्पण करने को कहा लेकिन उसने अपना माउजर निकालकर हमारे एक इंस्पेक्टर को मार दिया फिर मैंने भी गोली चलाने का हुकम दिया। पांच गोली से आजाद ने हमारे पांच लोगो को मारा फिर छठी गोली अपने कनपटी पर मार दी |”

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.