विलियम डेलरिम्पल एक फ्रॉड इतिहासकार है जो हिंदुओं से नफरत करता है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाम कसना चाहता है। दिल्ली दंगों पर लिखी किताब ‘Delhi Riots: Untold Story’ को बैन करवाने के लिए विलियम डेलरिम्पल ने ही एक कैंपेन चलाया। जीवन भर मुस्लिम आतंकवाद को महिमामंडित करने और हिंदू धर्म को बदनाम करने के लिए विलियम ने पुरजोर कोशिशें की हैं और अब यही वह शख्स है जिसके चलते दिल्ली दंगों पर लिखी गई किताब को पब्लिश करने से मना कर दिया गया है।

आपको बता दें कि डेलरिम्पल एक ऐसा इतिहासकार है जिसने लिखा था कि भारत देश में देवी पूजा नहीं की जाती थी यहां सिर्फ पुरुष देवताओं की ही पूजा की जाती है और भगवान राम एक काल्पनिक चरित्र है। औपनिवेशिक मानसिकता के विलियम जैसे इतिहासकारों को पता है कि भारत में बांटो और राज करो के तहत राज किया जा सकता है इन जैसे लोग जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल करवाते हैं और हिंदूफोबिया को पूरे विश्व में फैलाते हैं।
भारत में राष्ट्रवादी सरकार के उदय के बाद से ही विलियम जैसे हिंदू फोबिया से ग्रस्त इतिहासकार सकते में हैं क्योंकि इनकी दुकानें अब बंद हो चली हैं। विलियम डेलरिम्पल की दोगली शख्सियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गरीब-मजदूर पर बात करने में माहिर इस इतिहासकार के पास पुरखों की लूटी हुई कई गुना सम्पत्ति है। विलियम के पुरखों ने इस सम्पत्ति को भारत देश से लुटा था। इंडिया राइट्स में अरविंद कुमार ने लिखा है कि विलियम के पुरखे जॉन डेलरिम्पल बतौर जज 27.69 किलो सोना हर साल लिया करते थे और आपको बता दें कि इस रकम में घूस की रकम शामिल नहीं है। इसके अलावा इनके परिवार में एक डेलरिम्पल और थे जो मद्रास में भारतीयों को मारने का काम करते थे। कॉलोनी मानसिकता से ग्रस्त विलियम डेलरिम्पल को पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए, तब अपनी टुच्चई जानकारी से भारत देश और विश्व की जनता को बोर करना चाहिए।

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