देश की राजनीति बदलने का दावा करने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बारे में अगर कहा जाए कि उन्होंने तुष्टिकरण के मामले में कांग्रेस को भी पीछे छोड़ दिया है, तो ये गलत नहीं होगा . एक खास वर्ग से केजरीवाल का प्रेम खत्म ही नहीं हो रहा है. दरअसल यही प्रेम एक बार फिर उमड़ा है . दिल्ली के जामिया नगर में आम आदमी पार्टी ने एक ऐसा फ्लेक्स बोर्ड लगाया है, जिसमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तस्वीरों के साथ बांग्लादेश के एक स्कॉलर को भी जगह दी है. ‘फ्रीडम फाइटर फाउंटेन’ में भारत के स्वतंत्रता सेनानियों राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, शहीद भगत सिंह, शहीद सुखदेव, शहीद अशफाकउल्लाह खान के साथ बांग्लादेशी इस्लामिक स्कॉलर मौलाना महमूदुल हसन की तस्वीर लगाई गई है. हैरानी की बात ये है कि ये फ्लेक्स बोर्ड कई महीने पहले लगाया गया था, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया. इस फ्लेक्स बोर्ड में भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के साथ बांग्लादेशी विद्वान इस्लामिक विद्वान मौलाना महमूदुल हसन की तस्वीर को लेकर बीजेपी की तरफ से केजरीवाल पर हमले तेज हो गये हैं .

साभार-ट्वीटर

बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनेवाला ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर हमला करते हुए कहा कि इस फ्लेक्स बोर्ड में दिल्ली की आप सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के साथ बांग्लादेशी विद्वान इस्लामिक विद्वान मौलाना महमूदुल हसन की तस्वीर लगाई है। जिसके बाद बीजेपी प्रवक्ता ने केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि उन्होंने नीच राजनीति का एक नया रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने कहा कि  “केजरीवाल ने खुद को देशभक्ति का प्रमाण पत्र दिया है लेकिन यह उनके ही लोगों द्वारा उजागर किया गया है। एक बांग्लादेशी विद्वान का पोस्टर भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के साथ लगाया गया है। बांग्लादेशी को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में सम्मानित किया गया है। बीजेपी ने जब इस मुद्दे को उठाया तब जाकर पोस्टर हटाया गया।” आप विधायक अमानतुल्ला खान ने रातों-रात अपनी तस्वीर हटाने का आदेश दिया। गलती की जानकारी मिलने के बाद पोस्टरों से मौलाना महमूदुल हसन की तस्वीर हटा दी गई।

देश अपना 75वां स्वतंत्रता वर्ष मना रहा है और भारत सरकार पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है. ऐसे में जहां पूरे देश में भारत की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जा रहा है वहीं दिल्ली में आम आदमी पार्टी अपने पोस्टर में भारतीय स्वतंत्रता सेनानी की गलत पहचान करके एक बार फिर अपने तुष्टिकरण प्रेम को उजागर कर दिया है.

जाहिर सी बात है आम आदमी पार्टी के लिए आजादी के नायकों का मतलब ही शायद बांग्लादेश के मुस्लिम विद्वान हैं। वैसे देखा जाए तो इसमें बहुत हैरान होने की भी जरुरत नहीं है क्योंकि ये वही AAP विधायक हैं जिन पर CAA के विरोध में दंगे कराने का आरोप है। इसमें कोई शक नहीं है कि दिल्ली सरकार मुस्लिम तुष्टीकरण की सारी सीमाएं लांघ चुकी है। हमने पहले भी ये देखा है कि कैसे कोरोना काल के दौरान मंदिरों के पुजारियों ने जब सरकारी वेतन की मांग उठाई थी तब केजरीवाल सरकार ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया। वहीं ठीक इसके उलट मौलानाओं के वेतन में हर साल बढ़ोतरी की जाती रही .

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