कथित समाजसेविका मेधा पाटकर हर विकासवादी और इनफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में रोड़ा डालने के लिए बदनाम हैं. सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाम पर वो कभी किसान आंदोलन में शामिल हुईं तो कभी CAA के विरोध में प्रदर्शन किया. लेकिन लगता है अब उनके बुरे दिनों की शुरूआत हो चुकी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मेधा पाटेकर के खिलाफ मध्य प्रदेश में केस दर्ज हुआ है। आरोप है कि नर्मदा नवनिर्माण अभियान की ट्रस्टी मेधा ने सामाजिक कार्यों के नाम पर इकट्ठा की गई 13.50 करोड़ रुपए से अधिक राशि का दुरुपयोग किया। उन्होंने इस रकम को राजनीतिक गतिविधियों और विकास परियोजनाओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने में इस्तेमाल किया।

ये शिकायत मध्यप्रदेश के बड़वानी में 25 साल के प्रीतम राज ने दर्ज करवाई है। इसमें मेधा पाटेकर के अलावा 11 और लोगों के नाम हैं। इन सबके खिलाफ आईपीसी की धारा 420 के तहत मुकदमा दायर हुआ है। ऑपइंडिया के मुताबिक FIR की प्रति के अनुसार, शिकायतकर्ता ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक मेधा पाटेकर और उससे जुड़े लोगों पर आरोप लगाया है कि ये लोग आदिवासी बच्चों को शिक्षित करने के नाम पर जनता को गुमराह करते हैं। साथ ही इकट्ठा की गई धन राशि का गलत इस्तेमाल करते हैं।

शिकायतकर्ता के अनुसार आरोप है कि उनके पास आदिवासी गरीबों और उनकी शिक्षा को लेकर 2007 से 2022 तक इकट्ठा किए गए धन का लेखा-जोखा नहीं है। मेधा पाटकर ने स्वयं को सामाजिक कार्यकर्ता बताकर अलग-अलग जगहों से दान लिये। लेकिन उन्होंने दिखाया कि वो इस दान का इस्तेमाल नर्मदा घाटी के लोगों के कल्याण के लिए, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आदिवासी बच्चों को प्राथमिक स्तर की शिक्षा देने के लिए करेंगी. लेकिन यहां तो मेधा पाटकर ने बच्चों को भी नहीं बख्शा और उनकी पढ़ाई के लिए मिले पैसों को डकार गयीं. उन पर आरोप है कि यह दान की रकम मेधा पाटकर ने अन्य लोगों के साथ मिलकर राजनीतिक और राष्ट्र विरोधी एजेंडे के लिए इस्तेमाल की थी. वहीं FIR में लिखा है कि मेधा पाटेकर ने इंदौर की अदालत में अपनी सालाना आय को 6000 रुपए बताया था जबकि 2007 से 2021-22 के बीच 19,25, 711 रुपए उन्हें प्राप्त हुए हैं। इसलिए कई आशंकाएं जतायी जा रही है .

मेधा पाटकर लगातार ऐसी परियोजना या सुधार का जिक्र करती रही हैं जिसमें उन्होंने गरीब और विशेषकर आदिवासियों के “हित” की बात कही हैं लेकिन पैसा कहां से आया और कहां गया इसकी कोई जानकारी नहीं होती . असल में मेधा पाटकर सामाजिक कार्यों के पीछे जनता और सरकारों को गुमराह करने का काम करती रहीं हैं । गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, बिहार या फिर  दिल्ली हर जगह अपनी पकड़ जमाए रखने वाली मेधा पाटकर का काला चिट्ठा अब खुलने लगा है जिसका भांडा जल्द सबके सामने आएगा   .

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