अजमेर दरगाह की सच्चाई सामने आने के बाद अजमेर दरगाह पर सन्नाटा पसरा हुआ है. अजमेर के खादिमों के भड़काऊ बयानों के बाद यहां ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के दरगाह पर आने वाले लोगों की तादाद में बड़ी गिरावट सामने आयी है. रविवार को ईद उल अजहा के मौके पर भी दरगाह की सड़कों पर कोई रौनक नहीं दिखी बल्कि हर तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था.

दरअसल, दरगाह की अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने हाल ही में हिंदुओं का आर्थिक बहिष्कार करने की बात कहते हुए मुसलमानों को भड़काने का प्रयास किया। नूपुर शर्मा के बयान के समर्थन में हिंदू समाज की तरफ से निकाले गए जुलूस के बाद सरवर चिश्ती ने हिंदू दुकानदारों को निशाने पर लेते हुए मुसलमानों से मांग की कि ‘हिंदुओं से एक रुपये का भी धंधा मत करो और इन्हें तरसा दो। वहीं उसने ये भी कहा था कि नबी की शान में गुस्ताखी हो रही है। अब ऐसा आंदोलन किया जाएगा जिससे पूरा हिंदुस्तान हिल जाएगा।’

अजमेर शरीफ दरगाह के इन खादिमों के जहरीले और नफरत भरे बयानों का असर दरगाह पर दिखने लगा है । उनके भड़काऊ बयानों के बाद दरगाह पर आने वाले लोगों की संख्या में भारी कमी देखी गई है। इतना ही नहीं वहां के रेस्टोरेंट्स की कमाई 90 फीसदी तक घट गई है और होटलों की एडवांस बुकिंग भी रद्द की जा रही है। व्यापारियों ने कम से कम 50 करोड़ रुपए के नुकसान का अंदेशा जताया है.

अजमेर की दरगाह में हिन्दू ही अधिकतर जाते हैं, और विडंबना देखिए यही पर उनके खिलाफ ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगाए जाते हैं. जिस हिंदु समुदाय के लोग दरगाह में दिल खोलकर दान करते थे वहीं उन्हीं हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ बयान दिये जाते हैं. दरगाह पर लोगों के कम होने का खामियाजा उन लोगों पर ज्यादा पड़ा है जिनकी कमाई वहां आने वाले हिंदुओं पर ही टिकी हुई थी। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि अब हिंदुओं ने अजमेर दरगाह को बॉयकॉट करना शुरू कर दिया है।

अजमेर दरगाह को भाईचारे का प्रतीक माना जाता रहा है। बॉलीवुड सितारों से लेकर तमाम बड़े-बड़े राजनेता दरगाह में चादर चढ़ाने जाते हैं।लेकिन जिस अजमेर दरगाह को अमन, शांति और सद्भाव की मिसाल के तौर पर देखा जाता था अब खादिमों के शराफत के चोले के पीछे छिपा उनका असली कट्टरपंथी चेहरा बेनकाब हो रहा है !

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