हाल के दिनों में जिस तरह से देश भर में हुए दंगे, भारत विरोधी गतिविधियों में चरमपंथी इस्लामिक संगठन PFI का नाम सामने आया है उसके बाद से लगातार राष्ट्रीय एजेसिंयों और गृह मंत्रालय की तरफ से एक के बाद एक ताबड़तोड़ कार्रवाई की जा रही है. देश के लिए सबसे बड़ा खतरा बनती जा रही PFI का पूरी तरह से अंत करने के लिए बड़ा एक्शन शुरू हो चुका है. रिपोर्टस की मानें तो जिस रफ्तार से PFI के ठिकानों पर कार्रवाई की जा रही है उससे साफ समझा जा सकता है कि 2022 के आखिर तक PFI का अंत निश्चित है.

गुरुवार को NIA की टीम ने दिल्ली, केरल, कर्नाटक, बिहार सहित देश के 10 राज्यों में छापे मार कर PFI के कई दफ्तरों को सील कर दिया है. लेकिन इस बीच बिहार में PFI के गढ़ में गृह मंत्री अमित शाह की एंट्री ने जहां देश विरोधियों के मन में डर पैदा कर दिया है वहीं सियासत भी चरम पर है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दो दिवसीय बिहार दौरे पर हैं और अपने दो दिवसीय बिहार दौरे के दौरान वे सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाके पूर्णिया और किशनगंज जिलों का दौरा करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री के दौरे से पहले NIA और ED की टीम ने पूर्णिया, कटिहार और अररिया समेत बिहार के 32 जगहों पर टेरर फंडिंग मामले में ताबड़तोड़ छापेमारी की थी, जिसमें PFI से जुड़े इंजीनियर महबूब नदवी के घर और पटना के फुलवारी माड्यूल के SDPI महासचिव इंजीनियर एहसान परवेज के घर भी छापेमारी की गई थी।

अमित शाह का सीमांचल दौरा कई मायनों में खास माना जा रहा है. शाह के इस दौरे से ठीक एक दिन पहले देश के 11 राज्यों में NIA की PFI पर की गई कार्रवाई को आतंकवाद और घुसपैठ के खिलाफ कड़ा संदेश माना जा रहा है. पूर्णिया में सभा को संबोधित करते हुए शाह ने कहा “सीमांचल के पूर्णिया, अररिया, किशनगंज में जिस तरह से बीते 15 सालों में कट्टरपंथी ताकतों ने सिर उठाया है उसे कुचलना जरूरी है…”

इससे पहले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी कहा था कि ‘PFI एक आतंकवादी संगठन है जो भारतविरोधी काम करते है, पूर्णिया को PFI ने सेंटर बनाया है और बिहार में स्लीपर सेल और आतंकवादियों को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है”

PFI के गढ़ कहे जाने वाले सीमांचल के इलाके जैसे पूर्णिया, किशनगंज और अररिया में हाल के दिनों में PFI के समर्थन में देश विरोधी ताकतें सिर उठाने लगी है. सीमांचल के कुछ जिले खासकर कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया बारूद की ढेर पर बैठे हैं। घुसपैठ के कारण इन इलाकों में मुस्लिम आबादी लगातार बढ़ती जा रही है और हिंदुओं का पलायन जारी है. हालत येे है कि इन क्षेत्रों को ‘मिनी पाकिस्तान’ कहा जाने लगा है।

असल में किशनगंज अंतर्राष्ट्रीय सीमा से ज्यादा दूर नहीं है, और ऐसे में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की आवाजाही काफी आम बात है. इसके अलावा सीमांचल एक ऐसा क्षेत्र है, जो बॉर्डर के नजदीक होने के अलावा मुस्लिम बाहुल्य भी है, जहां कई जिलों में मुस्लिम आबादी 40 प्रतिशत से 70 प्रतिशत तक है। वहीं सीमांचल में ज्यादातर विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां मुस्लिम जनसंख्या बहुमत में है। अररिया, किशनगंज, सीमांचल का इलाका अवैध बांग्लादेशी आतंकवादियों का समर्थन और घुसपैठ के लिए जाना जाता है.

इसके अलावा हाल ही में इंडिया विजन 2047 बिहार आतंकी मॉडयूल का भंडाफोड़ हुआ था जिसका मकसद भारत को वर्ष 2047 तक इस्लामिक राष्ट्र बनाने का था। इस मामले में राजधानी पटना में देश विरोधी गतिविधियों में शामिल दो आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था.

PFI जैसे संगठन भारत में काफी समय से संचालित हैं, जिनका हाथ हर उस भारत विरोधी गतिविधियों में होता है, जो देश को विभाजित करने का लक्ष्य रखते हैं। हर देश विरोधी मामलों के पीछे इस संगठन का हाथ पाया जाता है। कई राज्यों ने तो इसे बैन भी किया है, लेकिन अब समय आ गया है कि इस संगठन पर और सख्ती दिखाते हुए इसका विनाश किया जाए। आतंकवादियों को सरहद पार फंडिंग प्रदान करना, उनसे सहायता लेना और उन्हें संरक्षण प्रदान करना, इन सभी मामलों में भी PFI का हाथ रहा है। यही कारण है कि अब गृह मंत्रालय PFI के खिलाफ फास्ट ट्रैक मोड़ में कार्रवाई कर रहा है।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.