इन दिनों देश में कट्टरपंथी मुसलमानों का अत्याचार एक बड़ी और गंभीर समस्या बन कर सामने आ रही है। चाहे लव जिहाद हो, लैंड जिहाद हो या आतंकवाद हो हर तरह से गैर मुस्लिमों के जीवन को तबाह करने की मानो मुहिम चल पड़ी है. दरअसल इन दिनों पूरे देश में लव जिहाद, जल जिहाद और लैंड जिहाद के मामले लगातार सामने आ रहे हैं.

इन्हीं में से एक लैंड जिहाद का एक ऐसा ही मामला बिहार के सासाराम से सामने आया है, जहां कट्टरपंथियों ने मौर्य वंश के सम्राट अशोक के लगभग 2300 साल पुराने शिलालेख पर ही कब्जा कर वहां मजार बना दिया है। इस पूरे मामले में बिहार में बनी कुछ ही दिनों पहले RJD-JDU सरकार की लापरवाही भी साफ दिख रही है हजारों साल पुराने ब्राह्मी लिपि में लिखे गए इन शिलालेखों को किस बदत्तर हालत में रखा गया है इसे लापरवाही के अलावा कुछ नहीं कहा जा सकता. समाज, सरकार और प्रशासन की नाक के नीचे ब्रिटिश राज से लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्रमाणिकता के साथ चिह्नित, अधिग्रहित और संरक्षित स्थल की पहचान बदल दी गई है।

साभार-ट्वीटर

जागरण की रिपोर्ट के मुताबिक रोहतास जिला के मुख्‍यालय सासाराम में कैमूर पहाड़ी श्रृंखला की चंदन पहाड़ी की प्राकृतिक कंदरा में सम्राट अशोक द्वारा 2300 साल पहले लघु शिलालेख उत्कीर्ण कराए गए थे। यह शिलालेख ब्राह्मी लिपि में है, जो कि देश में भर में मात्र ऐसे 8 शिलालेख हैं। इनमें यह शिलालेख भी शामिल है और यह बिहार का अकेला शिलालेख है। इस शिलालेख के चारों तरफ अवैध निर्माण करने के बाद इसकी घेराबंदी कर दी गई है। वहीं, शिलालेख को सफेद चूने से पुतवा कर उस पत्थर पर हरे रंग की चादर ओढ़ाकर मजार बना दिया गया है। इतना ही नहीं इसे सूफी संत की मजार घोषित कर सालाना उर्स का भी आयोजन किया जा रहा है। शिलालेख का घेराबंदी करने के बाद उसके गेट में ताला लगाकर रखा जा रहा है।

देश की स्वतंत्रता के बाद ASI ने इस शिलालेख को साल 2008 में संरक्षित स्मारक घोषित किया था। सासाराम शहर की पुरानी GT Road और नए बाइपास के बीच कैमूर पहाड़ी श्रृंखला में आशिकपुर पहाड़ी की चोटी से लगभग 20 फीट नीचे स्थित कंदरा में स्थापित शिलालेख के पास ASI ने संरक्षण संबंधी बोर्ड भी लगाया था, लेकिन अतिक्रमणकारियों ने साल 2010 में उखाड़कर इसे फेंक दिया।

साल 2008, 2012 और 2018 में ASI ने अशोक शिलालेख के पास अतिक्रमण हटाने के लिए तत्कालीन DM से कहा था। इसके बाद जिलाधिकारी ने सासाराम के एसडीएम को कार्रवाई का आदेश दिया था। एसडीएम ने शिलालेख पर अवैध कब्जा करने वाले मरकजी मोहर्रम कमेटी से मजार की चाबी तत्काल प्रशासन को सौंपने के लिए कहा था, लेकिन कमिटी ने आदेश को अनसुना कर दिया। और नतीजा ये हुआ कि धीरे-धीरे यहां एक बड़ी इमारत अवैध रूप से बना दी गई।

जाहिर है देश के अलग-अलग हिस्सों में लैंड जिहाद के जरिये सरकारी और निजी स्थानों पर कब्जा कर उसे इस्लामी संपत्ति बताने का काम जोरों पर चल रहा है. ऐसे में इन लोगों पर सख्ती और कानूनी कार्रवाई बहुत जरुरी है. बिहार में ज्यादा चिंता की बात इसलिए भी है क्योंकि बिहार की मौजूदा सरकार एक तो तुष्टीकरण का समर्थन करते हुए राजनीति करती है वहीं दूसरी तरफ राज्य में मुसलमानों की बढ़ती संख्या. 2011 की जनगणना के अनुसार बिहार में मुसलमानों की आबादी 1.74 करोड़ से बढ़ कर लगभग 2.5 करोड़ हो चुकी है।मतलब 10 सालों के अंदर 30 फीसदी की बढ़ोतरी. ये आंकड़े वाकई बेहद डराने वाले हैं.

 

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