इधर कुछ सालों से इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हिंदुओं को न सिर्फ सर तन से जुदा करने की धमकी दी जा रही है बल्कि हमारी बहन-बेटियों के साथ भी दरिंदगी और हैवानियत की खबरें लगातार सामने आ रही है.

देश के अलग-अलग इलाकों में लगातार हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ती जा रही है. कहीं लव-जिहाद तो कहीं बेटियों के साथ हैवानियत. ऐसा ही एक और मामला बिहार के कटिहार जिले से सामने आया है। जहां नौ साल की बच्ची के साथ मोहम्मद सगीर ने दुष्‍कर्म किया है. लेकिन इस बार ना तो ग्रामाणों ने रेप के आरोपी को पुलिस के हवाले किया ना ही न्याय के लिए सड़क जाम किया. इस बार गांव वालों ने खुद ही आरोपी मोहम्मद सगीर को सजा देकर ये बहस छेड़ दी है कि क्या बलात्कारियों को सजा देने के लिए बस यही रास्ता बचा है?

कटिहार के हसनगंज बाजार में गांव वालों ने रेप के आरोपी मोहम्मद सगीर को पीट-पीटकर मार डाला। पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में ग्रामीण उसे पेड़ से बांधकर पीटते दिख रहे हैं। सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने सगीर को भीड़ से छुड़ाया। इलाज के लिए सदर अस्पताल ले जाते समय रास्ते में हो वह मर गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हसनगंज बाजार में 9 साल की मासूम को उसी गांव का रहने वाला मोहम्मद सगीर बुधवार की रात जब बच्ची घर के बरामदे में सोई थी। तो उसे अपने साथ उठा ले गया और अपनी हवस का शिकार बनाया. इसके बाद गुस्साएं परिजनों और गांव वालों ने मोहम्मद सगीर को पकड़कर गांव के चौराहे पर एक खजूर के पेड़ से बांध दिया। फिर उसे पीटा। ग्रामीणों ने पिटाई का वीडियो बना उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।

आपको याद होगा कुछ दिनों पहले ठीक इसी तरह से गोरखपुर में भी एक फौजी पिता ने अपनी बेटी के बलात्कारी को सजा दी थी. रिटायर सिपाही भागवत निषाद ने रेपिस्ट दिलशाद को उस वक्त गोली मारी थी जब वो सुनवाई के लिए कोर्ट आया हुआ था. वे इस बात से बेहद दुखी थे कि उनकी बेटी के बलात्कारी को बेल क्यों मिली?

उस वक्त सोशल मीडिया पर भागवत निषाद के लिए लोगों की भावनाएं खुलकर सामने आई थी. उनके इस कदम की खूब तारीफ की गई वहीं ऐसे मामलों में लोगों ने कानूनी प्रक्रिया को लेकर नाराजगी भी जाहिर की थी.

दरअसल रेप के कई मामलों में आरोपी कुछ दिनों की सजा काटकर बेल पर खुलेआम घूमते हैं और दोबारा उसी दरिंदगी के साथ दूसरी घटना को अंजाम देते हैं. शायद यही वजह है कि लोगों ने अब खुद ही बलात्कारियों को सजा देने के लिए हथियार उठा लिए हैं. लेकिन इसका एक नकारात्मक पक्ष ये भी है कि देश की जनता का विश्वास न्याय प्रणाली पर कम होता जा रहा है जो अच्छे संकेत नहीं हैं.

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