- आप सभी को जय जिनेन्द्र 🙏🙏
लेख प्रारंभ करने से पूर्व एक बात आप सभी से पूछनी है कि क्या आप 52 घण्टे के उपवास के बाद चलने फिरने की स्थिति में रह सकते है ? शायद अधिकांश लोगों का जवाब होगा – नही।
लेकिन आज मैं आपको एक ऐसे तपस्वी साधु के बारे में बता रहा हूँ जिन्होंने सिर्फ 52 घण्टे नही बल्कि लगातार 52 दिन जी हाँ पूरे 52 दिन तक अन्न का एक दाना भी शरीर में ग्रहण नही किया और उसके बावजूद भी उनके शरीर का तेज वैसा ही बना रहा जैसा कि उपवास से पूर्व था। आज के कलयुग में ये घटना एक चमत्कार से कम नही है।
चलिए अब उस घटना को विस्तार से आप सभी को बताता हूँ….
वो तपस्वी साधु जो कि एक जैन आचार्य है उनका नाम है – आचार्य श्री 108 निश्चयसागर जी महाराज।
इस बार उनका चातुर्मास जयपुर जिले के विराटनगर कस्बे में हुआ था और यही पर उन्होनें 1 जुलाई 2022 से 21 अगस्त 2022 तक 52 दिवस के कठिन उपवास को पूर्ण किया। उपवास भी मामूली नही था आचार्य श्री का….1 दिन नारियल पानी लेते फिर 1 दिन उपवास उसके बाद फिर अगले दिन नारियल पानी और फिर उपवास। ऐसे करते करते आचार्य श्री ने 52 दिन के बेहद कठिन उपवास का संकल्प पूर्ण किया। ये उस समय की बात है जब राजस्थान में गर्मी का मौसम बना रहता है उस स्थिति में 2 दिन में सिर्फ एक समय नारियल पानी लेना स्वयं में एक कठिन कार्य है। 20 अगस्त को आचार्य श्री को 2 किलोमीटर दूर जैन नशियाँ हेतु विहार करना था और उस 2 किलोमीटर के विहार में आचार्य श्री को 8 बार विश्राम लेना पड़ा, आप समझ सकते है कि उपवास के 50वें दिन उनका शरीर किस स्थिति में पहुंच गया था। लेकिन आचार्य श्री की तपस्या और 24 तीर्थंकर सहित सभी इष्टदेवों के आशीर्वाद से इन 52 दिनों में ना तो आचार्य श्री का कभी स्वास्थ्य खराब हुआ और ना ही उन्होंने एक भी दिन अपनी दैनिक स्वाध्याय विधि को छोड़ा। आचार्य श्री का शरीर बहुत कमजोर हो गया था, सिर्फ हड्डियों का ढांचा दिखने लगा था फिर भी इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद आखिरकार 22 अगस्त का वो दिन भी आ गया जब आचार्य श्री की पारणा विधि (उपवास खोलने की विधि) सम्पन्न होनी थी।
22 अगस्त को आचार्य श्री के सैकड़ों भक्त विराटनगर पधारे थे। सभी भक्तों के मन में सिर्फ ये ही भावना थी कि आचार्य श्री की पारणा विधि निर्विघ्न सम्पन्न हो जाये और हुआ भी ऐसा ही, आचार्य श्री की पारणा विधि निर्विघ्न रूप से धूमधाम तरीके से सम्पन्न हुई। सभी भक्तों द्वारा आचार्य श्री आहार देने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ।
ये वो ऐतिहासिक क्षण था जिसके दर्शन करने का सौभाग्य भी बड़े पुण्य कर्मों से मिलता है। आचार्य श्री ने जब आहार का प्रथम अंश ग्रहण किया तो पूरा सभास्थल आचार्य श्री के जयकारों से गूंज गया, भक्ति के आँसू से सभी के नेत्र भीग गए, हर कोई उस क्षण को अपनी स्मृति में संजो रहा था।
ऐसे महान तपस्वी साधु आचार्य निश्चयसागर जी महाराज की सेवा करने का सौभाग्य मेरे सहित सभी विराटनगरवासियों को प्राप्त हुआ, उसके लिए हम अपने पुण्य कर्मों के प्रति श्रद्धानवत है। कलयुग में ऐसे तपस्वी साधु की तपस्या को बारम्बार नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु….
आचार्य श्री के चरणों का सेवक
आयुष जैन (विराटनगर)
आचार्य श्री की उपवास के दौरान एवं पारणा विधि की तस्वीरे नीचे दी गई है….
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