संसद से सड़क तक : गुस्से से खीजता ,झल्लाता विपक्ष

केंद्र में पहली बार ही भाजपा की सरकार जिसे विपक्षी खीज खीज कर मोदी की सरकार कहते चीखते फिरते हैं आने बाद से ही विपक्ष की राजनीति , दिनों दिन न सिर्फ सिमटती जा रही है बल्कि कांग्रेस जैसे बड़े और पुराने राजनैतिक दल का भी बोरिया बिस्तर गोल होने को है तो फिर सिर्फ स्वार्थ और सत्ता के लालची क्षेत्रीय दलों का तो कहना ही क्या। लेकिन बात इनके सर से तब निकल गई जब दूसरी बार भी देश के बहुमंत ने इसी भाजपा और इसी मोदी सरकार और भी अधिक प्रचंड बहुमत से जिता कर सत्तासीन कर दिया।
इसके बाद केंद्र सरकार अपने कार्यों से जनता की बीच खुद को प्रमाणित और सिद्ध करती रही और विपक्ष , संसद से लेकर सड़क तक सिर्फ और सिर्फ विरोध करने के लिए विरोध करने भर की राजनीति में उलझता चला गया। कुर्सी और पद की लालच में कांग्रेस और वाम दलों के साथ गलबहियाँ डाले छोटे दलों ने भी धीरे धीरे आपस में लट्ठम लट्ठ करते हुए एक एक करके कांग्रेस से भी किनारा कर लिया।
इत्तेफाक से जब कभी भी ये -चुनाव और संसद सत्र -दोनों ही साथ चल रहे हों फिर तो विपक्ष की खीज , झल्लाहट अपने चरम पर होता है और यही सब विपक्ष के नेताओं के बोल वचन और व्यवहार में भी झलकने लगता है , और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में आम जनमानस को फिर कई दिनों तक अजब गजब तमाशे ही देखने को मिलते हैं।
संसद में सत्र के दौरान अपना आपा खोकर अभद्र और हिंसक व्यवहार करते राजनेता , फिर इसके बाद हुई अनुशासनात्मक कार्रवाई के विरोध में मुंह फुला फुला कर रूठते राजनेता , सार्वजनिक सभाओं में ,मंचों पर , टीवी डिबेट में और तो और पत्रकार वार्ताओं में भी उल जलूल , बेतुके बयान देते , झूठ और भ्रम फैलाते , कोसते गाली देते हुए विक्षिप्त राजनेता तथा सोशल नेट्वर्किंग पर टूल किट के सहारे तरह तरह के आडम्बर और एजेंडे चलाते राजनेता। संसद में , सांसदों का अमर्यादित व्यवहार , सांसद जाया बच्चन का हिस्टीरियाई क्रोध , राहुल गाँधी का मीडिया को दलाल और सरकार का आदमी बोलना आदि तरह तरह के एपिसोड लोगों को देखने सुनने को मिल रहे हैं।
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