वामपंथियों ने इस कथा को हमें प्राइमरी में पढ़ाया क्यूंकि प्राइमरी का बच्चा तर्क नहीं करता, वो महाभारत में इस घटना को नहीं ढूंढ सकता, बचपन के इस झूठ को हम जीवनपर्यन्त नहीं भूलते, एक जाति विशेष के प्रति घृणा उत्पन्न करने, इतिहास को कलंकित करने और हमारे समाज को नीचा दिखाने के लिए वो इन कथाओं का प्रयोग करते हैं, हालांकि वो महाभारत और रामायण को काल्पनिक मानते हैं, पर अपनी सुविधा अनुसार एकलव्य, कर्ण, शबरी और शम्बूक के उदहारण देकर अपने ज्ञानी होने का झूठा प्रमाणपत्र भी स्वयं बांटते फिरते हैं।