बिहार के बारे में एक बिहारी का कुछ भी बोलना दोधारी तलवार सरीखा होता है वो प्रदेश ही है ऐसा है -एक बिहारी सब पे भारी | बिहार अभी पानी पानी है ,अस्पताल और शमशान के बीच भी 72 घंटे का सफर हो गया है | हर साल की तरह कराह रहा है डूब रहा है | अपने और अपनों के हाथ अभी जब जरूरत है सबसे ज्यादा जरूरत होगी तब कोई तंत्र कोई आंदोलन ऐसा नहीं निकल कर आता जो कहे कि -घबराइयेगा नहीं ,अरे हम लोग हैं न |

मिथिलांचल के नाम पर एक बड़ा आंदोलन खड़ा है हमारे यहां ,दिक्कत ये नहीं है की हर घर में एक आंदोलन खड़ा है ऐसा पर्सनल मगर इसे यूनिवर्सल होने में , एक साथ होने में बहुत भारी दिक्कत है , काहे पीछे चलेंगे ,जहां से हम खड़े होंगे लाईन वहीँ से शुरू होगा वाला फीलींग है सबका अपना अपना

किसी भी आंदोलन पर सवाल खड़े करना मेरा आशय नहीं है बस बात ये है कि सुर माचिसें एक साथ जलने में और तीला तीला जलने में फर्क तो है है , बस यही कोई नहीं समझ पा रहा | यही नहीं कोई सोच रहा है की ,पान ,मखाना ,केला ,लीची ,आम ,सत्तू ,लिट्टी किस का नाम लें किसका नहीं मधुबनी चित्रकला ,भोजपुरी सिनेमा ,सब कुछ का ब्रांडिग किया जा सकता है तो अब यही तो समय है न करिये न फिर कुछ अलग चलिए सब मिल कर करते हैं |

हालांकि उससे ज्यादा जरूरी अभी है इस दोतरफा बढ़ती मुश्किल से निपटने के लिए आगे आने की | चलिए अपनों की मदद करते हैं उन्हें हमारी जरुरत है , चलाइये आप सब कुछ वो कहते हैं कैम्पेन ,टैग वगैरह | हम भी लेंगे न उसमें हिस्सा। …….

चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े तमाम साथियों से , आपदा प्रबंधन से जुड़े मित्रों से और आपसे हमसे सबसे यही गुजारिश है की ये रोज़ रोज़ नए आने ट्वीट और वीडिओज़ के माध्यम से चल रही चुनावी बिसात पर अभी बहुत तमाशे होंगे तो उस बीच हमें और आपको करना सिर्फ ये है कि इन सबके बीच वहां कोई हर पल दम तोड़ने को न विवश हो रहा हो | लगाइये अपनी ताकत और हर जरूरतमंद तक रोटी और दवाई पहुँचे |

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