फिल्म जगत के दोहरे चरित्र वाले अभिनेताओं में से एक आमिर खान लाख चाह कर भी अपनी कट्टर मज़हबी सोच का न सिर्फ इज़हार करते हैं बल्कि जान बूझ कर हर बार अपने तथाकथित चातुर्य को झाड़ते हुए वो सब कहते और करते हैं जिनसे वो सीधा सीधा हिन्दू धर्म मान्यताओं , प्रतीकों , देवी देवताओं का उपहास कर सकें या फिर किसी बहाने से उन्हें रॉंग नंबर बता सकें। फिर चाहे वो सिनेमा के माध्यम से हो ,टीवी के माध्यम से हो , तुर्की जैसे कट्टर मज़हबी सोच रखने वाले देश की दिखावटी यात्रा हो , या फिर किसी विज्ञापन के माध्यम से हो।

आमिर खान जो सिएट टायर के नए विज्ञापन के साथ सामने आए हैं बकौल उनके ” सड़कें पटाखे चलाने के लिए नहीं होतीं ” बिलकुल ठीक बात , वैसे ये बात किसी ने शायद ही कही होगी कि सड़कें पटाखे चलाने के लिए हैं या होती हैं , हाँ शादी ब्याह में जरूर बच्चे दुसरे सारे उत्सवी कार्यों के साथ पटाखे भी चलाते हैं ,सिर्फ पटाखे ही चलाते हैं -ये जानकारी आपकी बहुत ही आधी अधूरी है मिस्टर खान।

वैसे तो ये भी पूछने कहने वाली बात नहीं है कि , जब आपसे पी के में अपने खुद के मज़हब में बढ़ते उन्माद और पिछड़ेपन को छोड़ कर हिन्दू देवी देवताओं में ही सारी मुश्किल दिखाई देती है। सत्यमेव जयते जैसे घनघोर आदर्शवादी छाँटने वाले टीवी शो में , भूल कर भी तलाक , आतंकवाद , अशिक्षा , समाज से अलगाव की मानसिकता ,मज़हबी उन्माद आदि किसी एक पर भी एक शब्द मुंह से न निकलना ,आदि आदि। …..

के बावजूद भी यदि कोई आपसे पलट के पूछ दे अब जैसा कि ट्विट्टर पर लोगबाग पूछ भी रहे हैं कि अगर पटाखे चलाने के लिए नहीं है तो फिर इबादत के लिए भी तो नहीं ही है , मगर जब सिर्फ एक आँख से ही देखा जाता है तो फिर यही और ऐसे ही होता है। सार्वजनिक जीवन में आदर्श की कलक्टरी झाड़े रहने और ये बड़ी बड़ी तोप बाते छोड़ने वाले आमिर खान के ऊपर उनके सगे भाई ने गंभीर आरोप लगाए हैं , अभी तक कुल दो पत्नियों को वे छोड़ चुके हैं , भारत में अपनी एजेण्डावादी पिक्चरों की आड़ में करोड़ों रूपए से अपनी तिजोरी भरने के बावजूद भारत में डर लगता है जैसे बयान देने वाले ,आमिर खान से ,ऐसे विष वमन के अतिरिक्त उम्मीद भी क्या की जा सकती है भला।

असल में इस विज्ञापन में पटाखों के बहाने , दीपावली को निशाना बनाने की जो कुत्सित और शातिर कोशिश की गई है उसके पीछे कहीं न कहीं सिएट के संचालक हर्ष गोयनका की वामपंथी सोच है जो अक्सर अपने कथ्यों में पहले हिन्दू देवी देवताओं का उपहास उड़ाते रहे हैं। देखिये ये ट्वीट और ये भी कि इस तरह का ये एक अकेला ट्वीट या कथ्य नहीं गोयनका का।

इससे पहले भी , अनेकों बार अलग अलग ब्रांड ने हिन्दू देवी देवताओं , रीति रिवाज़ों और परम्पराओं को निशाना बनाने के लिए अपने विज्ञापनों में ऐसी संकीर्ण और एकतरफा सोच को थोपने की कोशिश की है , इनकी बदकिस्मती है कि अब लोग जो बहुत ही जागरूक और सचेत हो गए हैं वे सब देख समझ रहे हैं।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.